वाशिंगटन, 29 जनवरी (एजेंसी)अमेरिका में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप की तुलना में ओमीक्रोन स्वरूप से प्रतिदिन अधिक लोगों की मौत हो रही है, जबकि अगले कुछ दिन या सप्ताह में मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। अमेरिका में मृतकों की सात दिन की औसत संख्या में नवंबर के मध्य से वृद्धि देखी जा रही है। बृहस्पतिवार को यह 2,267 तक पहुंच गई और सितंबर में 2,100 के आंकड़े को पार कर गई, जब डेल्टा स्वरूप अपने चरम पर था। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, इरविन में जन स्वास्थ्य प्रोफेसर एंड्रयू नोयमर ने कहा, ‘ओमीक्रोन के चलते हमें लाखों लोगों को खोना पड़ सकता है। इस बात पर चर्चा की जानी चाहिए कि हम क्या अलग कर सकते हैं और कितने लोगों के जीवन को बचा सकते हैं।’ अमेरिका में कोविड-19 की वजह से 8,78,000 लोगों की मौत हो चुकी है और मृतकों की संख्या के मामले में वह शीर्ष पर है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।