Nobel Peace Prize : अधूरा रह गया ट्रंप का सपना, ना खुद की दलीलें काम आईं, ना समर्थकों की वकालत
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप की कोशिशें नाकाम रहीं
Nobel Peace Prize : प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। रिपब्लिकन नेताओं से लेकर दुनिया के कई नेताओं द्वारा ट्रंप को यह पुरस्कार दिये जाने की वकालत किये जाने और खुद ट्रंप द्वारा उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार का उचित उम्मीदवार बताए जाने के बावजूद वह इसे पाने से चूक गये।
वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। नॉर्वे की नोबेल समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वात्ने फ्रिडनेस ने कहा कि वेनेजुएला में राष्ट्रपति पद की विपक्ष की उम्मीदवार रहीं मारिया कोरिना मचाडो ‘‘कभी गहन तौर पर विभाजित रहे विपक्ष को एकजुट करने वाली प्रमुख शख्सियत हैं। एक ऐसा विपक्ष जिसने स्वतंत्र चुनाव और प्रतिनिधि सरकार की मांग को समान रूप से उठाया।''
मौजूदा कार्यकाल के अलावा ट्रंप अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने के लिए सार्वजनिक तौर पर अपनी मंशा जताते रहे हैं। खासकर हाल में, जब उन्होंने दुनिया भर में संघर्षों को समाप्त करने का श्रेय लेते हुए इस सम्मान को पाने की अपनी इच्छा के बारे में खुलकर कहा था। हालांकि, उन्होंने संदेह व्यक्त किया था कि नोबेल समिति उन्हें कभी यह पुरस्कार देगी।
ट्रंप को नोबेल का शांति पुरस्कार क्यों मिलना चाहिए इसके लिए वह कई कारण बताते हैं। इनमें से एक कारण वी यह भी कई बार बता चुके हैं कि उन्होंने सात युद्ध समाप्त कराए हैं। ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा था, ‘‘वे वही करेंगे, जो उन्हें करना है। वे जो भी करें, ठीक है। मैं यह जानता हूं कि मैंने यह (संघर्ष समाप्त करवाना) किसी और चीज के लिए नहीं किया। मैंने यह बहुत से लोगों की जान बचाने के लिए किया है।''
तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों को पद पर रहते हुए नोबेल शांति पुरस्कार मिला है, जिनमें थियोडोर रूजवेल्ट को 1906 में, वुडरो विल्सन को 1919 में और बराक ओबामा को 2009 में ये पुरस्कार मिला था। जिमी कार्टर ने पद छोड़ने के पूरे दो दशक बाद 2002 में यह पुरस्कार जीता था। पूर्व उप राष्ट्रपति अल गोर को 2007 में यह पुरस्कार मिला था।