बैंकॉक, 29 जनवरी (एजेंसी)
म्यांमार में एक साल पहले आन सांग सू की को सत्ता से बेदखल करने के सेना के कदम से देश में लोकतंत्र की वापसी की कवायद अप्रत्याशित रूप से न केवल खत्म हो गयी बल्कि इसने जन विद्रोह का एक नया दौर पैदा किया जो कम स्तर पर है लेकिन बरकरार है। म्यांमार सेना के कमांडर सीनियर जनरल मिन आंग हेइंग ने एक फरवरी 2021 की सुबह सू की और उनकी सरकार तथा सत्तारूढ़ ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी’ के शीर्ष सदस्यों को गिरफ्तार करके सत्ता पर कब्जा कर लिया था। सत्ता पर काबिज होने के लिए सेना के बल प्रयोग से संघर्ष बढ़ गया और कुछ विशेषज्ञों ने देश में गृह युद्ध की स्थिति घोषित कर दी। सुरक्षाबलों ने करीब 1,500 लोगों की हत्या कर दी, करीब 8,800 लोगों को हिरासत में ले लिया, असंख्य लोगों को प्रताड़ित किया और वे लापता हो गए।
‘इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप’ थिंक टैंक के लिए म्यांमार के मामलों के विश्लेषक थॉमस कीन ने कहा कि सैन्य सरकार विरोध के स्तर का अनुमान नहीं लगा रही थी। उन्होंने कहा, ‘तख्तापलट के पहले कुछ दिनों में उन्होंने ऐसा रुख अपनाने की कोशिश की कि सबकुछ पहले जैसा है। जनरलों ने इससे इनकार किया कि वे कोई बड़ा बदलाव करने जा रहे हैं बल्कि सिर्फ सू की को सत्ता से हटा रहे हैं और जैसा कि आप जानते हैं कि इन बड़े प्रदर्शनों को क्रूरता से कुचला गया।’ जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एशियाई अध्ययन के वरिष्ठ शोधार्थी डेविड स्टीनबर्ग ने कहा कि लोगों ने सेना के तख्तापलट का इसलिए विरोध किया क्योंकि उन्हें वर्षों के सैन्य शासन के बाद जनता द्वारा निर्वाचित सरकार मिली थी।