लंदन, 22 अप्रैल (एजेंसी)
पृथ्वी दिवस यानी अर्थ डे पर जन-जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चाएं हुईं। ऐसा ही एक मुद्दा है जलवायु परिवर्तन। बताया गया कि इस परिवर्तन और आवास के नुकसान के दोहरे खतरों के कारण दुनिया को कीट प्रजातियों को विनाशकारी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। यूसीएल के सेंटर फॉर बायोडायवर्सिटी एंड एनवायरनमेंट रिसर्च ने दुनिया भर में कीटों की गिरावट का सबसे बड़ा आकलन किया है। लगभग 6,000 स्थानों से लिए गए दस लाख नमूनों में से तीन-चौथाई का आकलन किया गया। विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित नए अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के अधिक प्रभाव वाले स्थानों पर खेत खलिहानों में पाए जाने वाले सामान्य कीटों की संख्या औसतन आधी रह गई है, और यहां कीटों के प्राकृतिक आवास के क्षेत्रों की तुलना में 25 प्रतिशत कम कीट प्रजातियां हैं। खेतों में कम रसायनों का उपयोग करके, फसलों की अधिक विविधता रखने और कुछ प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करके कीड़ों पर निवास स्थान के नुकसान और जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
‘धरती मां के प्रति कृतज्ञता जताने का अवसर’
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पृथ्वी दिवस ‘धरती माता’ के प्रति कृतज्ञता जताने के साथ ही हमारे ग्रह की देखभाल के लिए प्रतिबद्धता दोहराने का अवसर है। पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने तथा दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 22 अप्रैल के दिन ‘पृथ्वी दिवस’ यानि‘ अर्थ डे’ मनाने की शुरुआत की गई थी। वर्ष 1970 में शुरू की गई इस परंपरा को दुनिया ने खुले दिल से अपनाया और आज लगभग पूरी दुनिया में प्रति वर्ष पृथ्वी दिवस के मौके पर धरा की धानी चूनर को बनाए रखने और हर तरह के जीव-जंतुओं को पृथ्वी पर उनके हिस्से का स्थान और अधिकार देने का संकल्प लिया जाता है।