लुम्बिनी, 16 मई (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साझी विरासत, संस्कृति और आस्था को भारत-नेपाल रिश्तों की सबसे बड़ी पूंजी करार देते हुए सोमवार को कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में दोनों देशों की मजबूत होती मित्रता व घनिष्ठता, संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी पहुंचे मोदी ने भारत और नेपाल के संबंधों को हिमालय की तरह अटल बताया और कहा कि दोनों देशों को मिलकर इन ‘स्वाभाविक और नैसर्गिक’ रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देनी है। वहीं, नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने कहा कि उनका देश भारत के साथ परस्पर सम्मान और समझ के आधार पर संबंधों को मजबूत करने के लिए आशान्वित है। उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी समान आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से एक-दूसरे से बंधे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने लुम्बिनी के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र और ध्यान कक्ष में 2566वें बुद्ध जयंती समारोह को संबोधित किया। माया देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की और पीएम देउबा के साथ लुम्बिनी मठ क्षेत्र में भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति व विरासत केंद्र का शिलान्यास भी किया।
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक में संस्कृति, शिक्षा, जल विद्युत, सम्पर्क सहित बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की। इसके बाद सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने, शिक्षा क्षेत्र में सहयोग एवं पनबिजली क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं को लेकर छह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए। नेपाल के प्रधानमंत्री ने अपने देश में पश्चिमी सेती जल विद्युत परियोजना के विकास के लिए भारतीय कंपनियों को आमंत्रित किया। मोदी ने ट्वीट किया, ‘आज प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ मेरी बैठक शानदार रही। हमने भारत और नेपाल के बीच संबंधों के सभी क्षेत्रों पर चर्चा की। महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जो सहयोग का विविधीकरण करेंगे एवं गहरा बनायेंगे।’ यह 2014 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी की नेपाल की पांचवीं यात्रा है।
लुम्बिनी-कुशीनगर होंगी ‘सिस्टर सिटी’
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने लुम्बिनी एवं कुशीनगर के बीच ‘सिस्टर सिटी’ का संबंध स्थापित करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई। दोनों शहर प्रमुख बौद्ध स्थल हैं और दोनों देशों की साझी बौद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हैं।