मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

H-1B Workers : एच-1बी वीजा पर अमेरिकी संसद की सख्ती, टीसीएस से पूछा - क्या नियमों का हो रहा उल्लंघन?

अमेरिकी सांसदों ने नियुक्ति प्रक्रियाओं, एच-1बी वीजा पर टीसीएस से किए सवाल
सांकेतिक फोटो। iStock
Advertisement

H-1B Workers : अमेरिकी सांसदों ने भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस से अमेरिका में नियुक्ति प्रक्रियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। इन सांसदों ने पूछा कि क्या कंपनी ने किसी अमेरिकी कर्मचारी को हटाकर उसकी जगह एच-1बी कर्मचारी को नियुक्त किया है। साथ ही एच-1बी कर्मचारियों और उनके समकक्ष अमेरिकी कर्मचारियों के बीच वेतन असमनता के बारे में भी पूछा है।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के सीईओ के कृतिवासन को लिखे एक पत्र में सीनेट न्यायपालिका समिति के चेयरमैन चार्ल्स ग्रासली और रैंकिंग सदस्य रिचर्ड डर्बिन ने कहा कि कंपनी दुनिया भर में 12,000 से अधिक कर्मचारियों, जिनमें अमेरिकी कर्मचारी भी शामिल हैं, की छंटनी कर रही है। पत्र के अनुसार, टीसीएस ने अकेले अपने जैक्सनविले कार्यालय में लगभग पांच दर्जन कर्मचारियों की छंटनी की।

Advertisement

इसमें आगे कहा गया, ''एक तरफ आप अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आप हजारों विदेशी कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा आवेदन भी दे रहे हैं।'' पत्र में वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़ों का हवाला दिया गया, जब टीसीएस को 5,505 एच-1बी कर्मचारियों की नियुक्ति की मंजूरी मिली थी। इस पत्र में कहा गया कि इससे कंपनी अमेरिका में नए स्वीकृत एच-1बी लाभार्थियों की दूसरी सबसे बड़ी नियोक्ता बन गई है। इन सांसदों ने कहा, ''हमारे लिए यह विश्वास करना मुश्किल लगता है कि टीसीएस इन पदों को भरने के लिए योग्य अमेरिकी तकनीकी कर्मचारी नहीं ढूंढ पा रही है।''

इस संबंध में प्रतिक्रिया के लिए टीसीएस को ईमेल भेजा, लेकिन खबर लिखे जाने तक उसका कोई जवाब नहीं मिला। ग्रासली और डर्बिन ने टीसीएस के अलावा कॉग्निजेंट, अमेजन, एप्पल, डेलॉयट, गूगल, जेपी मॉर्गन चेज, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और वॉलमार्ट से भी इस संबंध में पूछताछ की है। सांसदों ने कहा कि उनकी पूछताछ ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका के तकनीकी क्षेत्र में बेरोजगारी दर समग्र बेरोजगारी दर से काफी ऊपर है। उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व के अनुसार, एसटीईएम डिग्री वाले हाल के अमेरिकी स्नातकों को अब आम जनता की तुलना में अधिक बेरोजगारी दर का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि ग्रासली और डर्बिन एच-1बी वीजा कार्यक्रम के मुखर आलोचक रहे हैं और लगातार यह तर्क देते रहे हैं कि कई लोग अमेरिकी कामगारों की जगह विदेशों से सस्ते मजदूरों को लाने के लिए इन वीजा का दुरुपयोग कर रहे हैं। इन सांसदों ने कहा कि वे एच-1बी और एल-1 वीजा कार्यक्रमों में सुधार और खामियों को दूर करने के लिए द्विदलीय कानून फिर से पेश कर रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि एच-1बी और एल-1 वीजा सुधार अधिनियम अमेरिकी आव्रजन प्रणाली में धोखाधड़ी और दुरुपयोग से निपटता है, अमेरिकी कामगारों और वीजाधारकों को सुरक्षा देता है और विदेशी कामगारों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाता है।

Advertisement
Tags :
Dainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newsH-1B VisaH-1B visa RulesH-1B workersHindi NewsIndia IT companylatest newsTCSUS lawmakersदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी समाचार
Show comments