हांगकांग, 15 जून (एपी)हांगकांग के निकट स्थित चीन के परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी रिसाव की आशंका की रिपोर्ट के बाद संयंत्र की संयुक्त संचालक फ्रांसीसी कंपनी ने कहा है कि संयंत्र में ‘कार्य प्रदर्शन संबंधी दिक्कत’ आ रही है और फिलहाल उसका संचालन सुरक्षा सीमाओं के भीतर हो रहा है। तैशान परमाणु संयंत्र संयुक्त रूप से ‘चाईना गुआंगदोन न्युक्लियर पावर ग्रुप’ और फ्रांस की बहुराष्ट्रीय बिजली कंपनी ‘इलेक्त्रिसिते दे फ्रांस’ का है। इलेक्त्रिसिते दे फ्रांस संयंत्र का संचालन करने में मदद देने वाली ‘फ्रामोतोम’ की भी मालिक है। फ्रामोतोम ने एक बयान में कहा, ‘‘गुआंगदोन प्रांत में तैशान परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कार्य प्रदर्शन में आ रही दिक्कत का समाधान निकालने में फ्रामोतोम मदद दे रही है। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक संयंत्र सुरक्षा मानकों की सीमा के भीतर काम कर रहा है। हमारा दल विशेषज्ञों की मदद से स्थिति का आकलन कर रहा है और किसी भी संभावित दिक्कत के मद्देनजर समाधान भी बताएगा।” विकिरणों के स्तर पर नजर रखने वाली हांगकांग वेधशाला के मुताबक तैशान संयंत्र से निकलने वाली विकिरणों का स्तर सोमवार को सामान्य पाया गया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।