संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, 17 जुलाई (एजेंसी)
संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा कि हिरासत में पादरी स्टेन स्वामी की मौत के बारे में जानकर उन्हें धक्का लगा। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के रक्षक को उसके अधिकारों से वंचित करने का ‘कोई कारण’ नहीं है और उनकी मौत भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर हमेशा एक धब्बा रहेगी। एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत पिछले साल गिरफ्तार किए गए स्वामी (84) की 5 जुलाई को मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी।
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मेरी लॉलर ने एक बयान में कहा कि फादर स्वामी का मामला सभी देशों को याद दिलाता है कि मानवाधिकार के रक्षकों और बिना किसी वैध आधार के हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाना चाहिए। लॉलर ने कहा कि चार दशक से ज्यादा समय से मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के जाने माने पैरोकार कैथोलिक पादरी स्वामी की हिरासत में मौत भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर हमेशा एक धब्बा रहेगी। उन्होंने कहा, ‘एक मानवाधिकार रक्षक को आतंकवादी के रूप में बदनाम करने का कोई बहाना नहीं हो सकता और कोई कारण नहीं है कि उनकी मौत उस तरह हो जिस तरह फादर स्वामी की हुई। आरोपी के तौर पर हिरासत में उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया गया।’