मेलबर्न, 12 फरवरी (एजेंसी)
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा स्थिति, चीन द्वारा सीमा पर सैनिकों को एकत्र न करने के लिखित समझौतों की अवहेलना करने के कारण पैदा हुई है। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि जब कोई बड़ा देश लिखित प्रतिबद्धताओं की अवहेलना करता है तो यह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय होता है। उन्होंने भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पर एक सवाल के जवाब में यह बयान दिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या शुक्रवार को यहां ‘क्वाड’ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत-चीन सीमा पर गतिरोध के मुद्दे पर चर्चा हुई, जयशंकर ने ‘हां’ में जवाब दिया। उन्होंने कहा,‘हां, हमने भारत-चीन संबंधों पर चर्चा की क्योंकि यह, हमारे पड़ोस में होने वाले घटनाक्रम की जानकारी एक-दूसरे को देने के तरीके का एक हिस्सा है। यह एक ऐसा मसला है जिनमें कई देशों को रुचि है।’
जयशंकर ने कहा कि सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा न करने के भारत के साथ किए गए लिखित समझौतों की चीन द्वारा 2020 में अवहेलना करने के कारण एलएसी पर मौजूदा स्थिति पैदा हुई। गौरतलब है कि पैंगोंग झील में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हुआ तथा दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों को सीमा पर भेजकर अपनी तैनाती धीरे-धीरे बढ़ा ली है। दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद तनाव पैदा हुआ था।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे भारत-ऑस्ट्रेलिया
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अधिक विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति शृंखला तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक एवं समावेशी वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एकसाथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया है। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पायने के साथ द्विपक्षीय बैठक और शुक्रवार को यहां क्वाड के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक में भाग लेने के बाद जयंशकर ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने पायने से क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में घटनाक्रम पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, हम अधिक विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति शृंखला बनाने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक, समावेशी वृद्धि सुनिश्चित के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ जयशंकर ने कहा कि उदार लोकतंत्रों के तौर पर भारत और ऑस्ट्रेलिया सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता तथा संप्रभुत्ता का सम्मान करते हुए नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, संपर्क, वृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।
क्वाड पर विरोध खारिज
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘क्वाड’ पर चीन के विरोध को शनिवार को खारिज कर दिया और कहा कि 4 देशों का यह संगठन ‘सकारात्मक काम’ करेगा तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि कायम रखने के प्रति योगदान देगा। जयशंकर ने कहा कि ‘क्वाड’ की आलोचना करने से इसकी विश्वसनीयता कम नहीं होगी। क्वाड के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों- अमेरिका के एंटनी ब्लिंकन, जापान के योशिमासा हयाशी और ऑस्ट्रेलिया की मारिस पायने के साथ शुक्रवार को जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ‘दबाव’ से मुक्त रखने के लिए सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक तेवरों पर परोक्ष रूप से संदेश देने के उद्देश्य से ‘दबाव’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। जयशंकर ने यहां अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा, “कल हम चारों एक बिंदु पर सहमत हुए कि हम यहां सकारात्मक चीजें करने आए हैं।’ जयशंकर के साथ पायने ने कहा कि क्वाड ‘किसी के खिलाफ नहीं है। क्वाड नेताओं की प्रतिबद्धता के तहत टीके की 50 करोड़ से खुराक अन्य देशों को दी गई।’