रोम, 31 अक्तूबर (एजेंसी)
विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने सदी के तकरीबन मध्य तक ‘कार्बन न्यूट्रेलिटी’ लक्ष्य तक पहुंचने का रविवार को वादा किया। जी-20 नेताओं के वक्तव्य के मुताबिक वे कोयला चालित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए सार्वजनिक वित्त पोषण खत्म करने को सहमत हुए, लेकिन घरेलू स्तर पर कोयले का उपभोग चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है।
‘कार्बन न्यूट्रेलिटी’ या ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन का अर्थ वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के जुड़ने और उनके हटने के बीच संतुलन स्थापित होना है। जी-20 देश, विश्व के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के करीब तीन-चौथाई हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। जी-20 की मेजबानी कर रहे इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने रविवार को सम्मेलन के अंतिम दिन नेताओं से कहा, ‘हमें कोयले का उपभोग चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में अधिक निवेश करने की जरूरत है।’ एक फ्रांसीसी अधिकारी ने बताया कि मध्य सदी का अर्थ कड़ी समय सीमा के रूप में 2050 से है, लेकिन राष्ट्रीय विविधता पर गौर करते हुए इस समय सीमा में थोड़ी राहत के साथ हर कोई एक साझा लक्ष्य के प्रति सहमत है। फ्रांसीसी अधिकारी ने शीर्ष प्रदूषकों के तौर पर चीन, भारत तथा इंडोनेशिया का जिक्र किया। कुछ देशों ने नेट जीरो उत्सर्जन के लिए 2050 का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि चीन, रूस और सऊदी अरब ने 2060 का लक्ष्य रखा है।
प्रधानमंत्री मोदी और जी20 नेता पहुंचे ट्रेवी फाउंटेन
रोम : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जी20 शिखर सम्मेलन से इतर विश्व के अन्य नेताओं के साथ यहां प्रसिद्ध ट्रेवी फाउंटेन का दौरा किया। इस दौरान नेताओं ने प्रचलित परंपरा के अनुसार पानी में सिक्का भी उछाला। -एजेंसी
सीओपी26 शुरू, बढ़ते तापमान पर होगा मंथन
ग्लासगो (एजेंसी) : स्कॉटलैंड के शहर ग्लासगो में रविवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (सीओपी26) की औपचारिक शुरुआत कार्रवाई और प्रार्थनाओं की अपील के साथ हुई। इस सम्मेलन में करीब 200 देशों के प्रतिनिधि वैश्विक स्तर पर तापमान बढ़ने की साझा चुनौती से निपटने पर गहन चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। वेटिकन में रविवार की प्रार्थना सभा में पोप फ्रांसिस ने दुनिया के लोगों से यह प्रार्थना करने की अपील की कि दुनियाभर के नेता धरती और गरीबों की पीड़ा को समझें। बैठक में 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के बाद से लंबित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और इस सदी में वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने से रोकने के प्रयासों को तेज करने के तरीके खोजे जाएंगे।