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आतंकवाद से निपटने में ब्रिक्स भारत के साथ

पहलगाम हमले की निंदा, ठोस कार्रवाई का आग्रह

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उबीर नक़्शबंदी/ ट्रिन्यू

नयी दिल्ली, 6 जुलाईब्रिक्स नेताओं के शिखर सम्मेलन की घोषणा में जम्मू-कश्मीर के प्रमुख पर्यटक स्थल पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गयी। रविवार को जारी घोषणा में कहा गया कि सीमा पार से आतंकवादियों की आवाजाही, उनकी फंडिंग और उन्हें सुरक्षित पनाह मुहैया करवाने सहित सभी रूपों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की हम पुष्टि करते हैं।

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समूह ने आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता सुनिश्चित करने और आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानदंडों को अस्वीकार करने का आग्रह किया। हालांकि, घोषणा में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया, जिसे भारत इस हमले के लिए जिम्मेदार मानता है। भारत बार-बार कहता रहा है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह दे रहा है। घोषणा में कहा गया, ‘हम संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित सभी आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान करते हैं।’

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मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बने ब्रिक्स का 2024 में विस्तार किया गया था, जिसके तहत मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को समूह में शामिल किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रविवार सुबह रियो डी जेनेरियो पहुंचे। उन्होंने कहा कि आर्थिक सहयोग और वैश्विक कल्याण के लिए ब्रिक्स एक बड़ी ताकत बना हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहलगाम हमला केवल भारत पर नहीं, पूरी मानवता पर आघात था। आतंकवाद की निंदा हमारा ‘सिद्धांत’ होना चाहिए, केवल ‘सुविधा’ नहीं। अगर पहले यह देखेंगे कि हमला किस देश में हुआ, किसके विरुद्ध हुआ, तो यह मानवता के खिलाफ विश्वासघात होगा। आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर कोई संकोच नहीं होना चाहिए। आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकाें को एक ही तराजू में नहीं तोल सकते।

ईरान पर इस्राइल के हमले, गाजा में मानवीय संकट और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के मुद्दे पर भी ब्रिक्स बैठक के दौरान चर्चा की गयी। समूह ने एकतरफा टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों के बढ़ने के बारे में गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि यह डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुरूप नहीं हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग

ब्रिक्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों पर सख्त भाषा अपनाई। घोषणा में कहा गया, ‘हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार के लिए अपना समर्थन दोहराते हैं, ताकि इसे और अधिक लोकतांत्रिक, प्रभावी और कुशल बनाया जा सके, परिषद की सदस्यता में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सके, ताकि यह मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का पर्याप्त रूप से जवाब दे सके। ब्रिक्स देशों सहित अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के उभरते एवं विकासशील देशों की वैध आकांक्षाओं का समर्थन कर सके।’ ब्रिक्स सदस्यों द्वारा घोषणापत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया कि यूएनएससी सुधार से ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद होगी। घोषणापत्र में कहा गया है, ‘हम संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद में बड़ी भूमिका निभाने के लिए ब्राजील और भारत की आकांक्षाओं के लिए अपना समर्थन दोहराते हैं।’

‘ग्लोबल साउथ’ दोहरे मानदंडों का शिकार : मोदी

रियो डी जेनेरियो (एजेंसी) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ अक्सर दोहरे मानदंडों का शिकार हुआ है और विश्व अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देने वाले राष्ट्रों को निर्णय लेने वाले मंच पर जगह नहीं मिल पाती है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित प्रमुख वैश्विक संस्थाओं में तत्काल सुधार पर भी जोर दिया। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि 20वीं सदी में गठित वैश्विक संस्थाओं में विश्व की आबादी के दो-तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ' के बिना ये संस्थाएं ऐसे मोबाइल फोन की तरह लगती हैं, जिनके अंदर सिम कार्ड तो लगा हुआ है, लेकिन नेटवर्क नहीं है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस जताया कि जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी तक पहुंच जैसे मुद्दों पर ‘ग्लोबल साउथ’ को अक्सर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है।

‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है, जो प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास के मामले में कम विकसित माने जाते हैं। ये देश मुख्यतः दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित हैं। इसमें अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देश शामिल हैं।

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