ब्रसेल्स, 25 मार्च (एजेंसी) अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके पश्चिमी सहयोगियों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के जवाब में, उस पर नये प्रतिबंध लगाने और युद्धग्रस्त देश को मानवीय सहायता प्रदान करने का संकल्प जताया है। यह मदद हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के मजबूत सैन्य सहायता की मांग पूरी नहीं करती। बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिका 1,00,000 यूक्रेनी शरणार्थियों का स्वागत करेगा और भोजन, दवा, पानी तथा अन्य आपूर्ति के लिए अतिरिक्त एक अरब डॉलर देगा। पश्चिमी नेताओं ने बृहस्पतिवार को रूस के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए आगे की कार्रवाई पर चर्चा की। साथ ही, इस बात पर भी विचार किया गया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के रासायनिक, जैविक या परमाणु हथियार की तैनाती करने की स्थिति में क्या कार्रवाई की जाएगी। ब्रसेल्स में यूक्रेन के मुद्दे पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), सात औद्योगिक देशों के समूह और 27-सदस्यीय यूरोपीय परिषद ने आपातकालीन बैठक की। इन बैठकों के बाद बाइडेन ने शाम को संवाददाता सम्मेलन में चेतावनी दी कि रूस द्वारा रासायनिक हमले का ‘वैसा ही जवाब दिया जाएगा।’ बाइडेन ने कहा, ‘आप पूछ रहे हैं कि नाटो कार्रवाई करेगा या नहीं। हम समय आने पर इसका फैसला करेंगे।’ व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि इसका मतलब है कि यूक्रेन में सीधी सैन्य कार्रवाई के खिलाफ अमेरिकी रुख में कोई बदलाव नहीं है। इस बीच, यूक्रेल के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मदद के लिए शुक्रिया अदा किया, हालांकि उन्होंने पश्चिमी सहयोगियों को स्पष्ट भी कर दिया कि उन्हें जितनी मदद दी जा रही है, उससे कहीं अधिक सहायता की आवश्यकता है। जेलेंस्की ने नाटो सदस्यों से कहा, ‘आपके विमानों के एक प्रतिशत और आपके टैंकरों के एक प्रतिशत की जरूरत है।’ वहीं, बाइडेन ने कहा कि और मदद की जाएगी। हालांकि, पश्चिमी देशों के नेता सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं, ताकि संघर्ष यूक्रेन की सीमाओं से आगे ना बढ़ जाए। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, ‘नाटो ने रूस के साथ युद्ध किए बिना इस युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करने का विकल्प चुना है।’
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।