वाशिंगटन, 10 दिसंबर (एजेंसी) राष्ट्रपति जो बाइडेन लोकतंत्र पर 2 दिवसीय डिजिटल शिखर सम्मेलन का समापन चुनावी ईमानदारी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, निरंकुश शासनों का मुकाबला और स्वतंत्र मीडिया को मजबूत बनाने के संकल्प के साथ करना चाहते हैं। शिखर सम्मेलन के पहले दिन, बाइडेन ने स्वतंत्र मीडिया, भ्रष्टाचार रोधी कार्यों और अन्य का समर्थन करने के लिए दुनिया भर में 42.4 करोड़ डॉलर तक खर्च करने की अमेरिका की योजना की घोषणा की। इस पहल की घोषणा उन्होंने दुनियाभर में लोकतंत्र की कथित खतरनाक स्थिति को पलटने के लिए विश्व के नेताओं से उनके साथ काम करने का आह्वान करते हुए की। बाइडेन ने पूछा कि क्या हम अधिकारों और लोकतंत्र के अवमूल्यन को अनियंत्रित रूप से जारी रहने देंगे? या हम साथ मिलकर एक दृष्टिकोण बनाएंगे और एक बार फिर मानव प्रगति और मानव स्वतंत्रता की यात्रा को आगे बढ़ाने का साहस दिखाएंगे? राष्ट्रपति शुक्रवार दोपहर समापन कार्यक्रम को संबोधित करने वाले हैं। उन्होंने चीन और रूस का नाम लिये बिना बार-बार यह बात उठाई कि अमेरिका और समान विचारधारा वाले सहयोगियों को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि लोकतंत्र निरंकुशता की तुलना में समाज के लिए एक बेहतर माध्यम है। यह बाइडन की विदेश नीति के दृष्टिकोण का एक केंद्रीय सिद्धांत है – एक ऐसी प्रतिबद्धता है जिसे वह अपने पूर्ववर्ती ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट दृष्टिकोण की तुलना में अधिक समावेशी बताते हैं। बृहस्पतिवार को हुए इस सम्मेलन की अमेरिका के मुख्य विरोधियों और अन्य देशों ने आलोचना की जिन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। अमेरिका में चीन और रूस के राजदूतों ने एक संयुक्त लेख लिखा जिसमें बाइडन प्रशासन को शीत-युद्ध की मानसिकता का प्रदर्शन करने वाला बताया गया, जो वैचारिक टकराव को हवा देगा और दुनिया में दरार पैदा करेगा।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।