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पालकी में माता-पिता को लेकर श्रद्धा के पथ पर निकले आज के ‘श्रवण’

भगीरथ के पदचिह्नों पर बेटों का समर्पण
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माता-पिता को पालकी में गंगास्नान कराकर, गंगाजल की कांवड़ के साथ घर लौटते बरवाला के काला और सोनू। -निस
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गंगा मैया के जल से भरी दो लीटर कांवड़, पीठ पर पालकी और पालकी में विराजमान 70 वर्षीय पिता चंदू व 60 वर्षीय माता संतोष। यह दृश्य किसी कल्पना का हिस्सा नहीं, बल्कि बरवाला के दो भाइयों, काला और सोनू, की 25 दिनों की आस्था-यात्रा का यथार्थ है।

13 जुलाई को हरिद्वार से निकले इन मजदूर भाइयों ने न केवल गंगाजल लाने का संकल्प लिया, बल्कि अपने माता-पिता को पालकी में बिठाकर हर कदम पर उनका भार स्वयं उठाया। रास्ते में धूप, बारिश, धूल-मिट्टी और पैरों में छालों जैसी कठिनाइयों को झेला, लेकिन हौसला कभी नहीं टूटा।

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पढ़ाई केवल सातवीं कक्षा तक हुई, जीवन मजदूरी में बीता, लेकिन दिल में राजा भगीरथ जैसी श्रद्धा बसी थी। जो थोड़ी बहुत पूंजी जोड़ी, उसे न व्यापार में लगाया, न जरूरतों में-बल्कि जीवन के देवता तुल्य माता-पिता की सेवा में अर्पित कर दिया। कालू कहता है कि हम भगीरथ के भक्त हैं। मां-बाप को पालकी में बिठाकर गंगाजल लाना ही हमारा सौभाग्य है। इस सेवा की पूर्णता तब होगी जब वे गांव पहुंचकर शिव मंदिर में गंगाजल अर्पित करेंगे और माता-पिता को बैठाकर आरती उतारेंगे। यह बातें दोनों भाइयों ने सफीदों-पानीपत स्टेट हाईवे के किनारे भाजपा नेता रामफल कश्यप के संस्थान पर पड़ाव के दौरान साझा कीं।

परिजनों की लंबी उम्र की करते हैं कामना

राजस्थान के अलवर, हरियाणा के टोहाना और पंजाब के अनेक इलाकों की तरह वे भी बरवाला में भगीरथ जयंती मनाते हैं। कांवड़ और पालकी का यह आयोजन उन्होंने भगीरथ और गंगा मां को प्रसन्न करने तथा अपने माता-पिता के लिए 100 वर्ष की स्वस्थ आयु की कामना के साथ किया है।

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