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Sleep Divorce: रातें अलग, दिल साथ- क्यों कपल्स ले रहे 'स्लीप डाइवोर्स' का सहारा

Sleep Divorce: कई लोगों के लिए एक ही बिस्तर पर सोना रिश्तों की नजदीकी और अपनापन दर्शाता है, लेकिन आजकल बढ़ती संख्या में दंपत्ति इस सोच से अलग रास्ता अपना रहे हैं। 'स्लीप डाइवोर्स' यानि बेहतर नींद के लिए अलग-अलग...
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सांकेतिक फोटो। iStock
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Sleep Divorce: कई लोगों के लिए एक ही बिस्तर पर सोना रिश्तों की नजदीकी और अपनापन दर्शाता है, लेकिन आजकल बढ़ती संख्या में दंपत्ति इस सोच से अलग रास्ता अपना रहे हैं। 'स्लीप डाइवोर्स' यानि बेहतर नींद के लिए अलग-अलग बिस्तरों में सोना। यह रिश्तों को बिगाड़ने वाला नहीं, बल्कि सुधारने वाला विकल्प बन रहा है।

हाल ही में Vogue India में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि मिलेनियल कपल्स (1980 से 1999 के बीच जन्मे युवा) नींद की गुणवत्ता को लेकर ज्यादा सजग हैं। एक कपल ने बताया कि दिन में वे सामान्य, मिलनसार लोग होते हैं, लेकिन रात होते ही थोड़ी सी आवाज, रोशनी या हरकत से नींद उचट जाती है। इससे दोनों में तनाव और झगड़े बढ़ने लगे।

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नींद में खलल से न सिर्फ थकान होती थी, बल्कि भावनात्मक दूरी भी बढ़ती जा रही थी। फिर उन्होंने 2024 में एक प्रयोग किया—अलग-अलग कमरों में सोना। पहले उन्हें शर्मिंदगी महसूस हुई, जैसे यह रिश्ता कमजोर करने वाला कदम हो, लेकिन जल्द ही ये विकल्प राहत देने वाला साबित हुआ। उन्होंने बताया, “अब जब हमें पता होता है कि अलग सोने का विकल्प है, तो तनाव नहीं होता। और जब हम साथ सोते हैं, तब भी हम ज्यादा धैर्यवान और स्नेही होते हैं।”

क्या कहता है डेटा और रिसर्च?

2023 के एक अध्ययन के अनुसार, करीब 25% विवाहित मिलेनियल कपल कभी-कभी अलग बिस्तरों में सोते हैं, जबकि 19% नियमित रूप से ऐसा करते हैं। होटल इंडस्ट्री भी इस ट्रेंड को स्वीकार कर रही है—Hilton के 2025 ट्रेंड्स रिपोर्ट में बताया गया कि 63% यात्री अकेले सोने पर बेहतर नींद लेते हैं, और 37% छुट्टियों में अलग बिस्तर चुनते हैं।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

नींद की विशेषज्ञ डॉ. वेंडी ट्रॉक्सेल इसे 'स्लीप डाइवोर्स' नहीं बल्कि 'स्लीप एलायंस' (Sleep Alliance) कहने की वकालत करती हैं। उनके अनुसार यह रिश्ता तोड़ने नहीं, बल्कि मजबूत करने की दिशा में एक सोच-समझकर लिया गया कदम है।

ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध में पाया गया कि नींद से वंचित जोड़े ज्यादा चिड़चिड़े और आक्रामक हो जाते हैं। एक अन्य अध्ययन में खराब नींद को तनाव हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ के बढ़े स्तर से जोड़ा गया है, जिससे रिश्तों में और दरारें आती हैं।

तो क्या रोमांस खत्म हो गया?

बिलकुल नहीं। सुबह एक-दूसरे की मुस्कान के साथ उठना, बिस्तर की गर्माहट महसूस करना जैसी भावनात्मक नज़दीकियां अब भी कायम हैं। लेकिन अगर कभी-कभी अलग सोने से रिश्ते में सुकून, धैर्य और प्रेम बना रहता है, तो यह समझौता कपल्स के लिए पूरी तरह स्वीकार्य है।

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