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शाहीन बाग दादी... कंगना रणौत के इस पोस्ट से मची थी हलचल, ...और अब लगा BJP MP को झटका

Kangana Ranaut: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गत दिवस भाजपा सांसद व अभिनेत्री कंगना रणौत की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ मानहानि की शिकायत और बठिंडा की एक अदालत द्वारा जारी समन आदेश को...
कंगना रणौत की फाइल फोटो। फोटो स्रोत एक्स अकाउंट @KanganaTeam
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Kangana Ranaut: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गत दिवस भाजपा सांसद व अभिनेत्री कंगना रणौत की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ मानहानि की शिकायत और बठिंडा की एक अदालत द्वारा जारी समन आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था।

अभिनेत्री से राजनीतिक नेता बनीं कंगना ने मानहानि के मामले को चुनौती दी थी, जो उनके रीट्वीट से संबंधित है, जिसमें अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान शिकायतकर्ता के बारे में उनकी टिप्पणी शामिल थी। यह शिकायत पंजाब के बठिंडा जिले के बहादुरगढ़ जंडियन गांव की महिंदर कौर (73) ने 2021 में दर्ज कराई थी।

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उन्होंने आरोप लगाया था कि रणौत ने ट्वीट में उन्हें गलत तरीके से शाहीन बाग की बिलकिस बानो बताकर बदनाम किया है। बठिंडा की अदालत में अपनी शिकायत में कौर ने कहा था कि अभिनेत्री ने एक रीट्वीट में उनकी तुलना एक महिला से करते हुए उनके खिलाफ ‘‘झूठे आरोप और टिप्पणियां'' कीं तथा कहा कि कौर वही ‘‘दादी'' हैं जो शाहीन बाग प्रदर्शन का हिस्सा थीं।

न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया ने रणौत की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘याचिकाकर्ता, जो एक प्रसिद्ध हस्ती हैं, के विरुद्ध विशिष्ट आरोप हैं कि रीट्वीट में उनके द्वारा लगाए गए झूठे और अपमानजनक आरोपों से प्रतिवादी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है तथा उनकी अपनी तथा अन्य लोगों की नजरों में भी उनकी छवि खराब हुई है। इसलिए, अपने अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत दर्ज करना दुर्भावनापूर्ण नहीं कहा जा सकता।''

आदेश में कहा गया, ‘‘... समग्र रूप से आक्षेपित आदेश को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि मजिस्ट्रेट (बठिंडा अदालत) ने रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर उचित ध्यान दिया है, तथा केवल इस बात से संतुष्ट होने के बाद कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत अपराध का होना पाया जाता है, प्रक्रिया जारी की गई है।”

यह याचिका दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत हाई कोर्ट में दायर की गई थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 499/500 के तहत दायर शिकायत को रद्द करने और निचली अदालत द्वारा 22 फरवरी, 2022 को जारी समन आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया गया था। कौर ने कहा था कि वह अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 से 2021 में किसानों के प्रदर्शन की शुरुआत से ही धरनों और प्रदर्शनों का हिस्सा रही हैं।

अपनी वृद्धावस्था के बावजूद वह अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ आंदोलन में भाग लेने के लिए दिल्ली गईं। रणौत ने ट्वीट साझा करते हुए आरोप लगाया था कि ‘शाहीन बाग दादी' भी राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न सीमा बिंदुओं पर किसानों के आंदोलन में शामिल हो गईं।

कौर ने कहा था कि उन्हें शाहीन बाग की उस महिला (दादी) से कोई सरोकार नहीं है, जिनकी तस्वीर ‘टाइम' पत्रिका में छपी थी और ट्वीट में जिनके साथ उनकी तुलना की गई थी। आरोप है कि याचिकाकर्ता रणौत ने ‘‘शिकायतकर्ता के विरुद्ध झूठे आरोप और अपमानजनक टिप्पणियां कीं, जिससे उनके सम्मान और गरिमा को ठेस पहुंची है और सोशल मीडिया पर उनकी बदनामी हुई है''।

कौर ने जनवरी 2021 में बठिंडा की एक अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। कंगना के वकील ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी कि (बठिंडा की एक अदालत द्वारा) दिया गया समन आदेश धारा 202 सीआरपीसी का उल्लंघन होने के कारण सुनवाई योग्य नहीं है।

शिकायतकर्ता द्वारा प्रारंभिक साक्ष्य दर्ज करने के बाद मजिस्ट्रेट ने ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीसीआईपीएल) के निदेशक से एक रिपोर्ट मांगी थी और यह दलील दी थी कि वह याचिकाकर्ता को समन नहीं कर सकते थे क्योंकि रिपोर्ट कभी प्राप्त नहीं हुई। यह भी दलील दी गई कि रणौत का शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था।

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