धर्मगुरु का अधर्म: CCTV से रखता था छात्राओं पर नजर, "यातना कक्ष" में शोषण, BMW में ऋषिकेश टूर
Chaitanyananda Saraswati: दक्षिण-पश्चिम दिल्ली स्थित एक निजी प्रबंधन संस्थान के पूर्व अध्यक्ष और स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती (62) पर 17 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है। पुलिस के अनुसार, उसने हॉस्टल की लॉबी व शौचालयों के बाहर CCTV लगाकर छात्राओं पर फोन से नजर रखी।
आरोपी ने DVR से छेड़छाड़ कर सबूत मिटाए, जबकि उसकी 1.5 करोड़ की BMW कार व उसके डैशकैम की जांच हो रही है। बताया गया कि वह कार से छात्राओं को "औद्योगिक दौरे" पर ऋषिकेश ले गया और अनुचित टिप्पणियां कीं। सरस्वती पर संस्थान की संपत्तियों का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाने का भी आरोप है।
स्वयंभू धर्मगुरु पर 17 छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने का मामला दर्ज किया गया है। 'श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट' (श्रीसीम) के संचालक चैतन्यानंद सरस्वती (62) उर्फ स्वामी पार्थसारथी पर आरोप है कि वह 1.5 करोड़ रुपये मूल्य की अपनी बीएमडब्ल्यू कार से "औद्योगिक दौरे" के बहाने छात्राओं को ऋषिकेश ले गया।
कार को संस्थान के बेसमेंट से जब्त कर लिया गया है और पुलिस ने कहा कि इसके 'डैशकैम फुटेज' की जांच की जाएगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "संस्थान में लगे कैमरों के अलावा छात्रावास की लॉबी और बाथरूम के बाहर भी CCTV कैमरे लगाए गए थे। हॉस्टल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की लगभग 75 छात्राएं रहती हैं।
सरस्वती नियमित रूप से छात्राओं की निगरानी करता था और अपने फोन के जरिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखता था।" जांचकर्ताओं ने बताया कि आरोपी ने संस्थान के डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (DVR) सिस्टम से छेड़छाड़ की, जिससे CCTV के अहम सबूत नष्ट हो गए।
हालांकि, पुलिस का मानना है कि BMW के ‘डैशकैम' से कुछ ठोस सबूत मिल सकते हैं। सूत्रों ने पहले दावा किया था कि सरस्वती ने संस्थान में अपने भूतल स्थित कार्यालय को "यातना कक्ष" में बदल दिया था, जहां महिला शोधार्थियों (विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं) का कथित तौर पर शोषण किया जाता था।
हालांकि, DCP (दक्षिण-पश्चिम) अमित गोयल ने स्पष्ट किया कि तलाशी के दौरान ऐसा कोई कक्ष नहीं मिला। पुलिस ने कहा कि जांच में यह भी पता चला है कि सरस्वती ने संस्थान पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया था और कथित तौर पर जगद्गुरु शंकराचार्य महासंस्थानम दक्षिणाम्नाय श्री शारदा पीठम (जो इसका संचालन करता है) की संपत्तियों को वित्तीय लाभ के लिए निजी कंपनियों को किराये पर दे दिया है।
एक अधिकारी ने कहा, "उसने कथित तौर पर इस धन का इस्तेमाल महंगे लक्जरी वाहन खरीदने में किया।" अब तक सरस्वती के पास दो कारें मिली हैं।। प्राथमिकी में कहा गया है, "BMW कार खरीदने के बाद उसने संस्थान की छात्राओं के साथ पूजा की, उन्हें घुमाया और गाने बजाए तथा अनुचित टिप्पणियां कीं। उसने उसी कार का इस्तेमाल उन्हें औद्योगिक दौरे के लिए ऋषिकेश ले जाने के लिए भी किया।" सरस्वती के खिलाफ वसंत कुंज उत्तर थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
चैतन्यानंद मामले में श्रीसीम और पीठम ने जारी किया बयान
श्री शारदा भारतीय प्रबंधन अनुसंधान संस्थान (श्रीसीम) ने स्वयंभू बाबा स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोपों को लेकर कई कदम उठाए हैं। संस्थान ने चार पृष्ठों की एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन कदमों का विवरण दिया है।
संस्थान ने कहा कि इसने चैतन्यानंद, जिन्हें पहले स्वामी (डॉ.) पार्थसारथी के नाम से जाना जाता था, से जुड़े कथित उत्पीड़न, मनमाने व्यवहार और वित्तीय अनियमितताओं के बारे में जानकारी मिलने के बाद वहां अध्ययनरत अपने छात्रों की सुरक्षा के लिए तेजी से और निर्णायक रूप से कार्रवाई की।
बयान के अनुसार, एक शासी परिषद के माध्यम से संस्थान का संचालन करने वाले श्रृंगेरी शारदा पीठम ने पहले स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा श्रीसीम का व्यापक ‘ऑडिट' कराने का आदेश दिया था। इस ‘ऑडिट' में धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात सहित कई अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया था जिसमें चैतन्यनंद और उनके सहयोगियों की संलिप्तता का आरोप है।
इसमें कहा गया, ‘‘जांच के निष्कर्षों के आधार पर पीठम ने 300 से अधिक पृष्ठों के दस्तावेज संलग्न करते हुए 19 जुलाई 2025 को एक आपराधिक शिकायत दी जिस पर 23 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज की गई।''
पीठम ने चैतन्यानंद को दी गई ‘पावर ऑफ अटॉर्नी' भी रद्द कर दी और संस्थान के कामकाज की देखरेख के लिए ईमानदार, प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और पेशेवरों की 11 सदस्यीय शासी परिषद का गठन किया। प्रेस के लिए जारी बयान में यह भी बताया गया है कि एक अगस्त को पीठम को वायु सेना मुख्यालय के शिक्षा निदेशालय के एक ग्रुप कैप्टन से एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें चैतन्यानंद के कथित दुर्व्यवहार के बारे में छात्राओं की शिकायतें थीं।
शिकायतों में छात्राओं को देर रात व्हाट्सएप संदेश भेजने और उनके शैक्षणिक भविष्य को नुकसान पहुंचाने वाले मनमाने और प्रतिशोधात्मक फैसलों का जिक्र था। बयान में कहा गया कि ईमेल के बाद नवगठित शासी परिषद ने छात्राओं के साथ एक डिजिटल कॉन्फ्रेंस के जरिए विस्तृत जानकारी एकत्र की।
अगले दिन दो अगस्त को पीठम ने निदेशालय को जवाब दिया जिसमें जोर देकर कहा गया कि प्राथमिकी पहले ही दर्ज की जा चुकी है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई जारी है। पीठम ने यह भी स्पष्ट किया कि चैतन्यानंद श्रृंगेरी शारदा पीठम के भिक्षु नहीं थे और न ही आदि शंकराचार्य परंपरा का हिस्सा थे।
संस्थान ने अपनी नवीनतम प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि हमें जानकारी मिली है कि स्वामी चैतन्यनंद सरस्वती फरार हैं और पुलिस से बचने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही इसमें कहा गया है कि छात्र अब पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसमें कहा गया है कि पीठम और श्रीसीम जांच प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग देंगे, ताकि कानून के अनुसार न्याय सुनिश्चित हो सके।