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Rakshabandhan 2025 : पूर्वांचल में बाढ़ ने रक्षा बंधन की खुशियों को किया फीका, नाव से बहनों के घर पहुंचे लोग

कुल 24 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें 4,500 बाढ़ प्रभावित लोग रह रहे हैं
सांकेतिक फोटो।
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Rakshabandhan 2025 : पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में आई बाढ़ ने रक्षाबंधन के त्योहार में अवरोध पैदा किया। बहुत से भाइयों की कलाई सूनी रह गई। कुछ लोगों ने नाव का सहारा लेकर अपनी बहन के यहां पहुंचकर राखी बंधवाई, लेकिन बहुत से लोग इससे वंचित भी रह गए। लोगों ने बताया कि शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों में रक्षाबंधन का पर्व काफी फीका रहा।

वाराणसी में वरुणा पार की निवासी मंजू देवी ने कहा कि क्षेत्र में पानी भरे होने की वजह से इस बार रक्षाबंधन में मेरे भाई नाव से आए हैं। मंजू के भाई सौरभ गुप्ता ने कहा कि बहन के घर के आस पास बाढ़ का पानी जमा होने की वजह से वह हमारे घर आने से मना कर रही थी। रक्षाबंधन का त्यौहार एक साल बाद आता है, इसलिए वह बाढ़ के बावजूद नाव का सहारा लेकर बहन के घर आए हैं। ऐसे और भी कई लोग नाव लेकर बहन के घर पहुंचे। कुछ बहनें भी नाव से भाई को राखी बांधने पहुंची लेकिन ज्यादातर लोगों की राह बाढ़ ने रोक ली।

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पाण्डेयपुर हुकुलगंज क्षेत्र के चंद्रकांत सिंह ने बताया कि कुछ घरों में पानी घुस गया है, जिससे घर के सदस्य दूसरे तल पर रह रहे हैं, कुछ लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। रक्षा बंधन पर बहनों को काफी दिक्कत हो रही है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शनिवार की सुबह गंगा का जलस्तर 69.8 मीटर पर पहुंच गया। वाराणसी के जिलाधिकारी सतेंद्र कुमार ने बताया कि गंगा का जलस्तर बुधवार से घट रहा है। गंगा, अस्सी और वरुणा के कुल 28 वार्ड बाढ़ से प्रभावित हैं, कुल 24 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें 4,500 बाढ़ प्रभावित लोग रह रहे हैं।

जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें संयुक्त रूप से कार्य कर रही है। बाढ़ राहत टीम लगातार लोगों से संपर्क करके उनकी हर प्रकार की मदद कर रही है। उधर, बलिया जिले में गंगा नदी और सरयू नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण बलिया सदर , बैरिया और बांसडीह तहसील क्षेत्र के कई गांव जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन ने हर गांव में आवागमन के लिए नाव का प्रबंध किया है, लेकिन प्रशासन का प्रबंधन बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में प्रभावित परिवारों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है।

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