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Bihar SIR : समस्तीपुर में डोनाल्ड ट्रंप ने किया आवासीय प्रमाण-पत्र बनाने के लिए आवेदन, पढ़ें क्या है पूरा मामला

आवासीय प्रमाण-पत्र के लिए 29 जुलाई को ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया गया था

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Bihar SIR : बिहार के समस्तीपुर जिले में ‘डोनाल्ड ट्रंप' का आवासीय प्रमाण-पत्र बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया, जिसे राजस्व विभाग ने खारिज कर दिया। जिला प्रशासन ने इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है, ताकि शरारत करने वाले व्यक्ति का पता लगाकर उसे गिरफ्तार किया जा सके।

प्रशासन ने कहा कि आवासीय प्रमाण-पत्र के लिए 29 जुलाई को ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया गया था। राजस्व विभाग के संबद्ध अधिकारी ने ‘‘इसे 4 अगस्त को खारिज कर दिया। आवेदन में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की तस्वीर के साथ उन्हें जिले के हसनपुर गांव का निवासी बताया गया था। ऐसा लगता है कि शरारत करने वाले ने इंटरनेट पर थोड़ी खोजबीन की थी, क्योंकि माता-पिता का नाम फ्रेडरिक क्राइस्ट ट्रंप और मैरी ऐनी मैकलियोड बताया गया था। प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को बदनाम करने के लिए यह किया गया।

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जून में निर्वाचन आयोग द्वारा एसआईआर की व्यापक कवायद शुरू किए जाने के बाद से राज्य में इस तरह की यह चौथी घटना है। हाल में, ग्रामीण पटना और नवादा में क्रमशः 'डॉग बाबू' और 'डॉगेश बाबू' नाम से आवेदन प्राप्त हुए थे। पूर्वी चंपारण जिले में, एक भोजपुरी अभिनेत्री की तस्वीर के साथ 'सोनालिका ट्रैक्टर' के नाम से एक आवेदन प्राप्त हुआ था।

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उपरोक्त सभी मामलों में आवेदन खारिज कर दिए गए हैं और संबंधित थानों में प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। जिला प्रशासन ने यह भी कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए, उपयुक्त जांच और कार्रवाई के लिए समस्तीपुर के साइबर थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक खबर साझा की, जिसमें कहा गया था कि आवेदन के संबंध में ‘‘प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है।

सुरजेवाला ने कहा कि यह सबसे बड़ा सबूत है कि बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण एक धोखाधड़ी है, जिसका उद्देश्य वोट चुराना है। कांग्रेस और राहुल गांधी इस साजिश को विफल करने के लिए लड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में चुप रहना एक अपराध है। आइए हम सब अपनी आवाज उठाएं और लोकतंत्र के प्रहरी बनें।

इस पर, समस्तीपुर प्रशासन ने कहा प्रमाण-पत्र कभी जारी ही नहीं किया गया। किसी ने जानबूझकर ऐसा आवेदन किया था और जांच के दौरान उसे खारिज कर दिया गया। इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई है। दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

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