लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया : ट्रंप
टैरिफ को लेकर तनातनी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर टिप्पणियों का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को उन्हाेंने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ पर कहा, ‘लगता है हमने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है। उनकी साझेदारी लंबी और समृद्ध हो।’ ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना करके 50 प्रतिशत किये जाने के बाद नयी दिल्ली और वाशिंगटन के संबंधों में खटास आ गयी है। वहीं,
पिछले दिनों चीन के शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गर्मजोशी से हुई बातचीत ने दुनिया का ध्यान खींचा। ट्रंप ने अपनी टिप्पणी के साथ तीनों नेताआें की एक तस्वीर भी साझा की।
इस बीच, एक कार्यक्रम में यूक्रेन को लेकर मीडिया के सवाल पर ट्रंप ने कहा कि वह रूस के राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा, हमारी बहुत अच्छी बातचीत चल रही है।
प्रौद्योगिकी दिग्गजों के डिनर में मस्क नदारद : अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बृहस्पतिवार को व्हाइट हाउस में प्रौद्योगिकी जगत के दिग्गजों के एक समूह की डिनर पर मेजबानी की। मेहमानों की इस सूची में ट्रंप के करीबी रहे एलन मस्क शामिल नहीं थे। इस साल की शुरुआत में मस्क और ट्रंप के बीच एक विधेयक को लेकर विवाद हुआ था।
नवारो की टिप्पणियों को भारत ने किया खारिज
नयी दिल्ली (एजेंसी) : अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर नयी दिल्ली पर की गयी आपत्तिजनक टिप्पणियों को भारत ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमने नवारो द्वारा दिए गए गलत और भ्रामक बयानों को देखा है और हम उन्हें स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं।’ पिछले सप्ताह, नवारो ने भारत पर ‘क्रेमलिन के लिए तेल धन शोधन केंद्र’ होने का आरोप लगाया था।
भारतीय छात्रों की अमेरिका में घट रही रुचि, यूरोपीय देश पसंदीदा
मुंबई : एडटेक कंपनी अपग्रेड की ट्रांसनेशनल एजुकेशन (टीएनई) रिपोर्ट 2024-25 में कहा गया है कि अमेरिका अब भारतीय छात्रों के लिए स्वभाविक और पसंदीदा शैक्षणिक गंतव्य नहीं रह गया है। इसमें 13 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि जर्मनी जैसे यूरोपीय गंतव्यों (2022 के 13.2 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में 32.6 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (जहां 42 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय छात्र भारतीय हैं) में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में अमेरिका (19 प्रतिशत) और कनाडा (18 प्रतिशत) भारतीय छात्रों के लिए शीर्ष गंतव्य थे। इसके अनुसार, कि 2023 तक अमेरिका में यह दर लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो कई कारकों के कारण 47 प्रतिशत पर आकर रुक गई। दो साल बाद परिदृश्य बदल गया, क्योंकि यह करियर के लिहाज से उपयुक्त था। रिपोर्ट में कहा गया कि कनाडा में भी आवेदनों में कमी आई है। ब्रिटेन की ओर अब भी हर साल भारत से हजारों छात्र आकर्षित हो रहे हैं।