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Wayanad Landslide: बचाव अभियान में तेजी, लापता लोगों की संख्या का पता लगाने में जुटा प्रशासन

वायनाड, 31 जुलाई (भाषा) Wayanad Landslide: केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में मलबे में फंसे लोगों की तलाश के लिए बुधवार सुबह बचाव अभियान फिर शुरू किया गया। इस बीच, प्राधिकारी भूस्खलन के बाद लापता लोगों की संख्या आंकने...
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वायनाड जिले में भारी मानसूनी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान के दौरान घायल को एयरलिफ्ट कर ले जाते सेना के जवान। पीटीआई फोटो
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वायनाड, 31 जुलाई (भाषा)

Wayanad Landslide: केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में मलबे में फंसे लोगों की तलाश के लिए बुधवार सुबह बचाव अभियान फिर शुरू किया गया। इस बीच, प्राधिकारी भूस्खलन के बाद लापता लोगों की संख्या आंकने के लिए डेटा एकत्र कर रहे हैं।

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जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बुधवार सुबह संवाददाताओं को बताया कि जिला आपातकालीन संचालन केंद्र की एक विशेष टीम भूस्खलन से पहले इलाके में रह रहे नागरिकों, इस हादसे के बाद मिले लोगों और लापता लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए डेटा जुटा रही है।

अधिकारी ने कहा कि राशन कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेजों के विश्लेषण के जरिये इलाके में रहने वाले लोगों से जुड़ा डेटा एकत्र किया जा रहा है। वायनाड के कई परिवारों ने भूस्खलन के बाद उनके प्रियजनों के लापता होने की जानकारी दी है।

अधिकारी के मुताबिक, सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाने, घायलों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने और अन्य लोगों को सुरक्षित इलाकों में स्थानांतरित करने को प्राथमिकता दे रही है।

उन्होंने बताया कि वायनाड में 45 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें 3,069 लोग रह रहे हैं। इस बीच, बचाव एजेंसियों ने मलबे में अभी भी फंसे लोगों का पता लगाने के लिए सुबह अपना तलाश अभियान फिर से शुरू किया। वायनाड में मंगलवार तड़के भूस्खलन की चपेट में आने से कम से कम 123 लोगों की मौत हो गई और 186 घायल हो गए।

कई लोगों के अब भी मलबे में फंसे होने की आशंका है, ऐसे में मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है। वायनाड उत्तरी केरल का एक पहाड़ी जिला है, जो अपने हरे-भरे जंगलों, सुंदर वादियों और मनोरम झरनों के लिए जाना जाता है।

2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की कुल आबादी लगभग 8,17,000 है। लगातार जारी मूसलाधार बारिश के कारण मंगलवार तड़के वायनाड के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा सहित अन्य गांवों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन की घटनाएं हुई थीं।

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