अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने कहा- भारत के साथ संबंध अमेरिका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण
विदेश विभाग द्वारा बैठक के विवरण में कहा गया है कि रुबियो और जयशंकर इस बात पर सहमत हुए कि अमेरिका और भारत ‘क्वाड' के माध्यम से एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे। रुबियो ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा उन्होंने जयशंकर के साथ द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की, जिनमें व्यापार, ऊर्जा, दवाइयां, महत्त्वपूर्ण खनिज और अन्य विषय शामिल हैं, ताकि भारत और अमेरिका के लिए समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
इससे पहले, जयशंकर ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि न्यूयॉर्क में रुबियो से ‘मिलकर अच्छा लगा।' जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘हमारी बातचीत में वर्तमान चिंता के कई द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रगति के लिए निरंतर जुड़ाव के महत्व पर सहमति बनी। हम संपर्क में बने रहेंगे।'
पिछले कुछ महीनों में व्यापार, शुल्क (टैरिफ) और नयी दिल्ली द्वारा रूसी तेल की खरीद को लेकर दोनों देशों में तनाव के बीच लगभग एक घंटे तक चली यह बैठक रुबियो और जयशंकर के बीच पहली आमने-सामने की बातचीत थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने रूसी तेल की खरीद के लिए नयी दिल्ली पर दंड स्वरूप 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया, जिससे अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया, जो विश्व में सर्वाधिक है। इस बैठक से कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने नए एच1बी वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का भारी-भरकम शुल्क लगाने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणा से सूचना प्रौद्योगिकी और चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों सहित भारतीय पेशेवरों में व्यापक चिंता पैदा हो गयी, जो एच1बी कुशल-कर्मचारी कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थी हैं।
रुबियो और जयशंकर ने पिछली बार जुलाई में वाशिंगटन डीसी में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर द्विपक्षीय मुलाकात की थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय सत्र के इतर हुई यह द्विपक्षीय बैठक उसी दिन हुई जब भारत और अमेरिका ने एक व्यापार समझौते के शीघ्र निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए चर्चा की।