ट्रंप प्रशासन को US कोर्ट का झटका, अवैध प्रवासी बच्चों को वयस्क केंद्र में भेजने के आदेश पर लगाई रोक
US Immigration Policy: अवैध रूप से अमेरिका में आए बच्चों के 18 वर्ष की उम्र पूरी करने पर उन्हें वयस्कों के लिए बने हिरासत केंद्रों में स्थानांतरित करने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की नयी नीति पर एक संघीय...
US Immigration Policy: अवैध रूप से अमेरिका में आए बच्चों के 18 वर्ष की उम्र पूरी करने पर उन्हें वयस्कों के लिए बने हिरासत केंद्रों में स्थानांतरित करने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की नयी नीति पर एक संघीय न्यायाधीश ने अस्थायी रूप से रोक लगा दी है।
वकीलों के अनुसार, यह स्थानांतरण इस सप्ताहांत होने वाला था। अमेरिकी जिला न्यायाधीश रूडोल्फ कोंट्रेरास ने शनिवार को अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग (आईसीई) के लिए एक अस्थायी आदेश जारी करते हुए कहा कि वह अकेले एवं बिना अनुमति के देश में आए किसी भी बच्चे को वयस्क होने के बाद आईसीई वयस्क हिरासत केंद्रों में न रखे।
वाशिंगटन डीसी के न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की स्वचालित हिरासत 2021 में जारी किए गए उनके उस अदालती आदेश का उल्लंघन है जिसमें इस चलन पर रोक लगाई गई थी।
आईसीई और अमेरिकी गृह मंत्रालय ने इस मामले में प्रतिक्रिया मांगने संबंधी ईमेल का तत्काल जवाब नहीं दिया। एसोसिएटेड प्रेस ने शुक्रवार को बताया कि अधिकारी 14 साल और उससे ज्यादा उम्र के प्रवासी बच्चों को स्वेच्छा से अपने देश लौटने के लिए 2,500 अमेरिकी डॉलर की पेशकश कर रहे हैं। पिछले महीने एक अन्य संघीय न्यायाधीश ने अकेले अमेरिका आए ग्वाटेमाला के प्रवासी बच्चों को तुरंत उनके देश वापस भेजने के प्रयासों पर रोक लगा दी थी।
अमेरिका : न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन को पोर्टलैंड में सैनिक तैनात करने से अस्थायी रूप से रोका
अमेरिका में ओरेगन राज्य के एक संघीय न्यायाधीश ने राज्य और उसके शहर पोर्टलैंड द्वारा दायर एक मुकदमे में फैसला सुनाते हुए देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के पोर्टलैंड में ‘नेशनल गार्ड' तैनात करने के आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है।
ट्रंप प्रशासन ने केंद्रीय अधिकारियों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए नेशनल गार्ड तैनात करने का आदेश दिया था। अमेरिकी जिला न्यायाधीश करिन इमरगुट ने मुकदमे में बहस लंबित रहने तक यह आदेश जारी किया।
वादियों का कहना है कि ‘नेशनल गार्ड' की यह तैनाती अमेरिकी संविधान के साथ-साथ उस संघीय कानून का भी उल्लंघन है जो आम तौर पर घरेलू कानूनों को लागू करने में सेना के इस्तेमाल पर रोक लगाता है। इमरगुट ने अपने आदेश में लिखा कि यह मामला तीन मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांतों के परस्पर संबंध से जुड़ा है: ‘‘संघीय सरकार और राज्यों के बीच संबंध, सेना और घरेलू कानून प्रवर्तन के बीच संबंध और सरकार की कार्यपालिका, विधानपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का संतुलन।''
न्यायाधीश ने कहा कि आम तौर पर राष्ट्रपति उन परिस्थितियों में ‘नेशनल गार्ड' सैनिकों की तैनाती का आदेश दे सकते हैं जब नियमित कानून प्रवर्तन बल अमेरिका के कानूनों का पालन नहीं कर पाते लेकिन पोर्टलैंड में ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वादियों ने यह साबित किया कि राष्ट्रपति के आदेश से पहले पोर्टलैंड आव्रजन केंद्र में हुए प्रदर्शन अधिक हिंसक या विघटनकारी नहीं थे।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति का यह निर्णय तथ्यों से बिल्कुल परे है।'' रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि वह ओरेगन के ‘नेशनल गार्ड' के 200 सदस्यों को 60 दिनों के लिए संघीय नियंत्रण में रख रहा है ताकि उन जगहों पर संघीय संपत्ति की सुरक्षा की जा सके जहां प्रदर्शन हो रहे हैं या होने की संभावना है। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता एवं इलिनोइस के गवर्नर जेबी प्रित्जकर ने शनिवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन इलिनोइस के नेशनल गार्ड के 300 सैनिकों का संघीयकरण करने की योजना बना रहा है, जो अमेरिकी शहरों में राष्ट्रपति द्वारा संघीय हस्तक्षेप की हालिया वृद्धि को दर्शाता है।
ट्रंप ने पोर्टलैंड और शिकागो दोनों को अपराध और अशांति से ग्रस्त शहर बताया है। उन्होंने पोर्टलैंड को ‘‘युद्ध क्षेत्र'' कहा है और सुझाव दिया है कि पोर्टलैंड में समस्याओं को खत्म करने के लिए यह तैनाती आवश्यक है।
राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से उन्होंने मैरीलैंड के बाल्टीमोर, टेनेसी के मेम्फिस, डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया, लुइसियाना के न्यू ऑरलियन्स और कैलिफोर्निया के ओकलैंड, सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिलिस सहित 10 शहरों में सैनिक भेजे हैं या भेजने की बात की है। इलिनोइस और ओरेगन के गवर्नर इस तैनाती को अलग तरह से देखते हैं। ओरेगन की गवर्नर टीना कोटेक ने सितंबर के अंत में ट्रंप से कहा था कि यह तैनाती अनावश्यक थी।