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भाजपा की नाव में देवीलाल की दो-दो पीढ़ियां, पर अलग-अलग सीढ़ियां

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 15 जुलाई हरियाणा से सटे राजस्थान में रोचक राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह हरियाणा की भाजपा सरकार में मंत्री हैं तो भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को भाजपा ने राजस्थान का सह...

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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 15 जुलाई

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हरियाणा से सटे राजस्थान में रोचक राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह हरियाणा की भाजपा सरकार में मंत्री हैं तो भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को भाजपा ने राजस्थान का सह चुनाव प्रभारी बनाया है। उधर, देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला जजपा-भाजपा गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। भाजपा ने राजस्थान में जाट वोट बैंक को अपनी ओर करने के लिए रणजीत सिंह की ड्यूटी लगाई है। उधर, दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय सिंह पहले से ही वहां पर जजपा की ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में भाजपा के साथ गठबंधन होने के कारण देवीलाल की दो पीढ़ियां राजस्थान के चुनावी रण में एक ही नाव में सवार नजर आएंगी।

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इस साल के आखिर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में हरियाणा के दो ‘लाल परिवारों’ की बड़ी भूमिका हो सकती है। रणजीत सिंह तथा कुलदीप बिश्नोई को जिस तरह से तवज्जो दी जा रही है, उससे साफ है कि इन दोनों के परिवारों के प्रभाव को भाजपा अपने फायदे के लिए भुना सकती है। वर्तमान में राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। राजस्थान के राजनीतिक समीकरण इस बार काफी बिगड़े हुए हैं। आमतौर पर राजस्थान में रोटेशन पर सरकारें बदलती रहती हैं। कांग्रेस में जहां गुटबाजी सिर चढ़कर बोल रही है। वहीं, भाजपा में भी अंतर्कलह कम नहीं है। ‘महारानी’ ने भाजपा के समीकरणों को काफी प्रभावित किया हुआ है। दूसरी ओर, जाट व बिश्नोई बहुल लोकसभा व विधानसभा सीटों पर होने वाली हार-जीत काफी महत्वपूर्ण है।

यही कारण हैं कि भाजपा जाट बहुल इलाकों में पैठ बनाने के लिए चौ़ देवीलाल के बेटे चौ़ रणजीत सिंह को महत्व दे रही है। इसी तरह, बिश्नोई वोट बैंक को साधने के लिए भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई का सहारा लिया जा रहा है। बिश्नोई को हाल ही में भाजपा नेतृत्व ने राजस्थान में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव का सह-प्रभारी नियुक्त किया गया है। राजस्थान में 7 लोकसभा क्षेत्रों और तीन दर्जन के करीब विधानसभा हलकों में बिश्नोई वोट बैंक है। भजनलाल परिवार बरसों से बिश्नोई समाज का नेतृत्व करता आ रहा है। बिश्नोई समाज के हर कार्यक्रम में कुलदीप शिरकत करते हैं। माना जा रहा है कि बिश्नोई समाज में कुलदीप के प्रभाव को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें राजस्थान में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। अगर राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो कुलदीप के परिवार को इसका बड़ा इनाम मिल सकता है।

इसी तरह, चौ़ रणजीत सिंह को भाजपा इसलिए वेट दे रही है ताकि राजस्थान के जाट वोट बैंक को साधा जा सके। राजस्थान में श्रीगंगानगर, बीकानेर, चुरू, झुंझनू, सीकर, नागौर, बाड़मेर, जोधपुर, पाली, भरतपुर, धोलपुर व अजमेर रूरल सहित करीब एक दर्जन लोकसभा सीटों पर जाटों का प्रभाव है। 18 जून को सिरसा में हुई भाजपा की लोकसभा स्तर की रैली में चौ़ रणजीत सिंह को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। वे रानियां से निर्दलीय विधायक हैं। इसके बावजूद उन्हें न केवल रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठने का मौका मिला, बल्कि उनका मान-सम्मान भी काफी बढ़ाया गया। रैली के बाद अमित शाह सिरसा में रणजीत सिंह के आवास पर भी गए। इससे भी यही संकेत मिल रहे हैं कि राजस्थान विधानसभा के चुनाव में भाजपा रणजीत सिंह का सहयोग ले सकती है।

देवीलाल सांसद और अजय रह चुके विधायक, जजपा कर रही तैयारी

राजस्थान की जाट बेल्ट में देवीलाल परिवार का प्रभाव रहा है। चौ. देवीलाल राजस्थान के सीकर से लोकसभा सांसद रहे थे। उनके पोते और वर्तमान में जजपा के संयोजक अजय चौटाला सीकर जिले के दातारामगढ़ और हनुमानगढ़ के नौहर हलके से विधायक रह चुके हैं। हरियाणा में जजपा का भाजपा के साथ गठबंधन चल रहा है। भाजपा के साथ गठबंधन जारी रहेगा या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन जजपा राजस्थान में भी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की मंशा रखती है। अजय ने अपने छोटे बेटे व जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला को राजस्थान में एक्टिव किया हुआ है। हरियाणा से सटी राजस्थान की जाट बहुल सीटों पर जजपा मेहनत कर रही है। जजपा दोनों ही स्थितियों के लिए तैयार नजर आ रही है। वह भाजपा के साथ चुनाव लड़ने को भी तैयार है और अगर गठबंधन नहीं होता है तो अकेले भी उतरने को तैयार है।

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