हुनर और हिम्मत की शक्ति से निखारी तरक्की की राह
वर्ष 2017 में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर नीरू ने साबुन व वॉशिंग पाउडर बनाने का काम शुरू किया। उन्होंने अपने साथ सात महिलाओं को जोड़ा। वर्ष 2022 में ट्रेनिंग ली और काम आगे बढ़ाया। दसवीं पास नीरू, जो कभी खुद मजदूरी दिहाड़ी की तलाश में घर से निकलती थीं, अब वह दूसरी महिलाओं को ट्रेनिंग देकर रोजगार दे रही हैं। उन्होंने गांव में सरस्वती और वाणी ग्राम संगठन की स्थापना कर महिलाओं को संगठित किया। उनके सारवी शाइन पाउडर और साबुन को धीरे-धीरे पहचान मिलने लगी। उनके उत्पाद केवल गांव तक सीमित नहीं रहे, बल्कि कैथल जिले के साथ-साथ पानीपत, कुरुक्षेत्र, पंचकूला और यहां तक कि गीता जयंती मेला जैसे बड़े आयोजनों तक पहुंच रहे हैं। उत्पादों की बढ़ती मांग ने न केवल नीरू की आर्थिक स्थिति बदली, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए। उनके ब्रांड की पहचान ने साबित कर दिया कि ग्रामीण महिलाएं भी हुनर और आत्मविश्वास के बल पर बड़े बाजार में अपनी जगह बना सकती हैं।
एक काम के बाद खुलीं कई राहें
नीरू की प्रेरणा से गांव की कई महिलाओं ने अलग-अलग क्षेत्रों में कदम बढ़ाया। कई महिलाएं अशिक्षित होने के बावजूद आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। उनके साथ काम कर रही रिंकी ने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर करियाना का काम शुरू किया और उसमें सफलता हासिल की। इसी प्रकार निर्मला ने भैंसों का व्यापार शुरू किया। उन्होंने एक भैंस के साथ काम शुरू किया और अब उनके पास कई मवेशी हैं। इसी प्रकार अशिक्षित मुकेश उनके साथ मिलकर अपना अच्छा रोजगार चला रही हैं। भतेरी व कर्मों भी पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उनका भी नीरू के साथ मिलकर वॉशिंग पाउडर का काम अच्छा चल रहा है।
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत चल रही योजनाओं के अनुसार सही समय पर प्रशिक्षण व आर्थिक सहयोग दिया गया, जिसके बल पर इन महिलाओं ने साबित कर दिखाया कि हुनर और हिम्मत की हमेशा जीत होती है। - सुरेश राविश, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, कैथल