संगम पर अखाड़ों के वैभव और श्रद्धालुओं की आस्था का मिलन
हरि मंगल
महाकुंभनगर : प्रयागराज महाकुंभ में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर सोमवार को त्रिवेणी तट पर संपन्न तीसरे अमृत स्नान में सनातन के प्रतीक अखाड़ों के वैभव और श्रद्धालुओं की आस्था का संगम दिखायी पड़ा। एक ओर शैव, वैरागी और उदासीन परम्परा के सभी अखाड़े महाकुंभ में अपने अंतिम अमृत स्नान के लिये पूरे वैभव और उल्लास के साथ निकले तो दूसरी ओर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस महाकुंभ में 144 वर्ष बाद ग्रह नक्षत्रों के संयोग से बन रहे अमृत काल में डुबकी लगाने के लिये 10-12 किलोमीटर तक की दूरी पैदल तय कर संगम के घाटों पर पहुंचे। मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ से सबक लेकर प्रशासन ने इस बार बहुत ही सतर्क रह कर अखाड़ों और श्रद्धालुओं के लिये बेहतर प्रबंध किये थे।
महाकुंभ में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर स्नान के लिये देश-विदेश के श्रद्धालुओं की भीड़ कल से ही महाकुंभ में पहुंचने लगी थी। ब्रह्म मुहूर्त बेला आते ही श्रद्धालुओं ने स्नान प्रारंभ कर दिया। किसी ने तीन, किसी ने पांच और कुछ ने तो ग्यारह डुबकी लगा कर अपना संकल्प पूरा किया। संगम के आस पास स्नान करने वाले लाखों श्रद्धालु लेटे हुये हनुमान के दर्शन के लिए गये लेकिन मन्दिर सुरक्षा की दृष्टि से बंद रखा गया था।
महाकुंभ की शोभा माने जाने वाले अखाड़ों ने भी आज पूरे हर्ष, उल्लास और वैभव के साथ अपना अंतिम अमृत स्नान किया। अखाड़ों को संगम स्नान के लिये मात्र 40 मिनट का समय दिया गया था। अमृत स्नान की बात की जाये तो प्रयागराज महाकुंभ में अपराह्न तीन बजे निर्मल अखाड़े के स्नान के साथ ही अखाड़ों का अमृत स्नान संपन्न हो गया।
अमृत स्नान सकुशल संपन्न हो जाने पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवीन्द्र पुरी महराज ने कहा ‘सुंदर और भव्य स्नान हुआ। जो कुंभ क्षेत्र में जहां है वहीं स्नान करे। प्रशासन ने सबको सुविधा दी, स्नान करवाया। अमृत स्नान हो जाने के बाद हम सेवा कार्य के लिये 7 फरवरी को काशी प्रस्थान करेंगे।’