फरीदकोट के राजा की 40 हजार करोड़ की संपत्ति का अदालत ने किया बंटवारा
चंडीगढ़ की एक अदालत ने फरीदकोट के अंतिम शासक हरिंदर सिंह बराड़ की 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच हिस्सा तय कर दिया है। अदालत ने यह आदेश हरिंदर सिंह बराड़ के भाई कंवर मंजीत इंदर सिंह के पोते की याचिका पर दिया। याचिका में संपत्ति में उनके 33.33 प्रतिशत हिस्से के बंटवारे की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें फरीदकोट के अंतिम शासक की शाही संपत्तियों को उनके कानूनी उत्तराधिकारियों में वितरित करने का आदेश दिया गया था। शीर्ष अदालत के आदेश के एक साल बाद निष्पादन आवेदन दायर किया गया था।
चंडीगढ़ की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इस निष्पादन में, डिक्री धारक ने उल्लेख किया है कि राजा हरिंदर सिंह बराड़ का हिस्सा उनके चार कानूनी उत्तराधिकारियों, यानी महारानी मोहिंदर कौर (मां), राजकुमारी अमृत कौर, महारानी दीपिंदर कौर और राजकुमारी महीप इंदर कौर (बेटियों) को दिया गया। हाईकोर्ट ने एक जून, 2020 के अपने फैसले में माना कि अमरिंदर सिंह के पिता स्वर्गीय भरत इंदर सिंह, 29 मार्च, 1990 को निष्पादित पंजीकृत वसीयत के आधार पर स्वर्गीय महारानी मोहिंदर कौर के आनुपातिक हिस्से के उत्तराधिकारी होंगे। सभी पक्षों के बीच विवाद के लंबित रहने के दौरान, राजकुमारी महीप इंदर कौर की बिना वसीयत किए मृत्यु हो गई और अब विवाद उनके हिस्से को लेकर है।
राजकुमारी महीप इंदर कौर की दो बहनें थीं, राजकुमारी अमृत कौर और महारानी दीपिंदर कौर। हालांकि, महारानी दीपिंदर कौर के उत्तराधिकारियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रजत माथुर की सहायता से अधिवक्ता करमबीर सिंह नलवा ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार अमरिंदर सिंह का हिस्सा बढ़ाने की याचिका का विरोध किया। तर्कों की सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि इन परिस्थितियों में यह स्पष्ट है कि राजकुमारी महीपिंदर कौर का हिस्सा पहले उनके पिता महाराजा हरिंदर सिंह को वापस जाएगा और फिर उनके कानूनी उत्तराधिकारियों यानी महारानी मोहिंदर कौर, राजकुमारी अमृत कौर और राजकुमारी दीपिंदर कौर को बराबर-बराबर मिलेगा।
इसका अर्थ यह है कि राजकुमारी अमृत कौर का कुल हिस्सा 33.33%, राजकुमारी दीपिंदर कौर का हिस्सा 33.33% और दिवंगत महारानी मोहिंदर कौर के कानूनी उत्तराधिकारियों का कुल हिस्सा भी 33.33% हो जाता है। चूंकि कंवर मंजीत इंदर सिंह का निधन हो चुका है, इसलिए कंवर भारतिंदर सिंह और राजकुमारी देविंदर कौर 16.67 फीसदी हिस्से के मालिक बन गए।
ये हैं संपत्तितयां
राजा की संपत्तियों में फरीदकोट में 14 एकड़ में फैला राज महल, फरीदकोट में किला मुबारक, नयी दिल्ली में कोपरनिकस मार्ग स्थित फरीदकोट हाउस और चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में एक भूखंड और मनीमाजरा में किला शामिल है। पूरे देश में राजा की कई अन्य संपत्तियां हैं।
तीन दशक से अिधक चली लड़ाई
फरीदकोट के पूर्व राजा के उत्तराधिकारियों के बीच शाही संपत्तियों के लिए कानूनी लड़ाई 30 वर्षों से भी ज्यादा समय तक चली। हरिंदर बराड़, फरीदकोट की पूर्ववर्ती रियासत के अंतिम शासक थे, जिन्हें 1918 में तीन साल की उम्र में राजा बनाया गया था। बराड़ और उनकी पत्नी नरिंदर कौर की तीन बेटियां और एक बेटा था। लेकिन 1981 में उनके बेटे की मौत हो गई थी। बेटे की मृत्यु के बाद हरिंदर बराड़ अवसाद में चले गए और लगभग सात-आठ महीने बाद उनकी वसीयत पर अमल हुआ। उनकी एक बेटी अमृत कौर ने 1992 में चंडीगढ़ जिला न्यायालय में एक दीवानी मुकदमा दायर किया, जिसमें वसीयत को चुनौती दी गई और उसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाया गया। चंडीगढ़ जिला न्यायालय ने 2013 में महारावल खेवाजी ट्रस्ट के पक्ष में एक जून, 1982 की वसीयत को अवैध, अस्तित्वहीन और शून्य घोषित कर दिया और बराड़ की बेटियों को विरासत का अधिकार दे दिया। जून 2020 में हाईकोर्ट ने राजा के भाई के परिवार को हिस्सा देने के चंडीगढ़ न्यायालय के आदेश को संशोधित रूप में बरकरार रखा।