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कुमारसैन, रोहडू और काेटगढ़ तक ही सीमित न हो सेब के बगीचे हटाने की कार्रवाई

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वन भूमि से सेब के बगीचे हटाने की कार्रवाई कुमारसैन, रोहडू और काेटगढ़ तक ही सीमित न रखे। कोर्ट ने फिर दोहराया कि वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले सभी...
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वन भूमि से सेब के बगीचे हटाने की कार्रवाई कुमारसैन, रोहडू और काेटगढ़ तक ही सीमित न रखे। कोर्ट ने फिर दोहराया कि वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले सभी कब्जाधारियों के खिलाफ एक समान कार्रवाई की जाए और कानून के राज को स्थापित करने में दखल देने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाए। मामले की सुनवाई 29 जुलाई को निर्धारित की गई है।

न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने वन विभाग को अगली सुनवाई को ताज़ा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने कहा है कि यह स्वीकार्य तथ्य है कि सेब के बागों और अन्य फलदार वृक्षों पर कीटनाशकों के छिड़काव की आवश्यकता होती है।

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यह कार्य राज्य सरकार के किसी भी विभाग द्वारा संभव नहीं हो पाएगा। यदि ऐसे बागों को वन विभाग के स्वामित्व में ज्यों का त्यों अस्तित्व में रहने दिया जाता है, इनमें बीमारियां पनप सकती हैं। इससे वे अन्य कानूनी रूप से विकसित पड़ोसी बागवानों को भारी नुकसान पहुंचाएंगे। कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि वन भूमि से सेब के पेड़ों को हटाने का आदेश केवल उन बागों तक ही सीमित नहीं है, जहां सरकारी भूमि पर फिर से कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि राज्य सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी मामलों से समान रूप से निपटे। प्रत्येक अतिक्रमित वन भूमि से सेब के पेड़ों को हटाकर ही ऐसा

किया जाए।

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