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करदाता को कारण बताओ नोटिस का जवाब देना होगा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि करदाता को समन का अनुपालन करना होगा तथा केंद्रीय या राज्य कर प्राधिकरण द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देना होगा। आयकर अधिनियम 1961 के तहत ‘करदाता' से तात्पर्य किसी भी व्यक्ति या संस्था...
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि करदाता को समन का अनुपालन करना होगा तथा केंद्रीय या राज्य कर प्राधिकरण द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देना होगा। आयकर अधिनियम 1961 के तहत ‘करदाता' से तात्पर्य किसी भी व्यक्ति या संस्था से है, जो अधिनियम द्वारा निर्दिष्ट कर भुगतान या किसी अन्य वित्तीय प्रतिबद्धताओं का कानूनी दायित्व रखता है।

इस प्रकार, केंद्रीय और राज्य जीएसटी प्राधिकारियों द्वारा निर्णय के दोहराव को रोकने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करते हुए, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि केवल समन जारी करने से जारीकर्ता प्राधिकारी या प्राप्तकर्ता यह सुनिश्चित नहीं कर पाता कि कार्यवाही शुरू हो गई है। पीठ ने कहा, ‘जहां किसी करदाता को केंद्रीय या राज्य कर प्राधिकरण द्वारा समन या कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है, वहां करदाता, प्रथमदृष्टया, उपस्थित होकर और अपेक्षित प्रतिक्रिया प्रस्तुत करके अनुपालन करने के लिए बाध्य है, चाहे जैसा भी मामला हो।' पीठ ने कहा, ‘जहां किसी करदाता को पता चलता है कि जिस मामले की जांच या अन्वेषण किया जा रहा है, वह पहले से ही किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा जांच या अन्वेषण का विषय है, तो करदाता को लिखित रूप में उस प्राधिकारी को तुरंत सूचित करना होगा, जिसने बाद में जांच या अन्वेषण शुरू किया है।'

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अदालत ने कहा कि संबंधित कर अधिकारी ऐसी सूचना प्राप्त होने के बाद करदाता के दावे की सत्यता की पुष्टि के लिए एक-दूसरे से संवाद करेंगे। न्यायालय ने कहा कि कर अधिकारियों को जांच या अन्वेषण करने का पूरा अधिकार है, जब तक कि यह सुनिश्चित न हो जाए कि दोनों अधिकारी समान दायित्व की जांच कर रहे हैं।

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