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पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी ली वापस

राजनीतिक दलों व किसान संगठनों के विरोध के बीच उठाया कदम
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पटियाला में सोमवार को किसान लैंड पूलिंग पॉलिसी के विरोध में बाइक रैली निकालते हुये। -राजेश सच्चर
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पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने विपक्षी राजनीतिक दलों एवं किसान संगठनों के विरोध के बीच सोमवार को अपनी लैंड पूलिंग पॉलिसी वापस ले ली। वैसे तो सरकार इस नीति का बचाव कर रही थी, लेकिन कुछ दिन पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इसके कार्यान्वयन पर चार सप्ताह के लिए अंतरिम रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने जो लैंड पूलिंग पॉलिसी वापस ली है, उसमें भूस्वामी को एक एकड़ जमीन के बदले में एक हजार वर्ग गज का आवासीय भूखंड और पूर्ण विकसित भूमि पर 200 वर्ग गज का व्यावसायिक भूखंड देने का प्रावधान था।

सोमवार शाम को, आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने एक बयान में कहा, ‘सरकार 14 मई की लैंड पूलिंग पॉलिसी और उसके बाद के संशोधनों को वापस लेती है। परिणामस्वरूप, जारी किए गए आशय पत्र, पंजीकरण या उसके तहत की गई कोई भी अन्य कार्रवाई अब से रद्द मानी जाएगी।’ हाईकोर्ट ने सात अगस्त को नीति पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा था कि ऐसा जान पड़ता है कि इसे जल्दबाजी में अधिसूचित किया गया है, जबकि सामाजिक प्रभाव आकलन तथा पर्यावरणीय प्रभाव आकलन समेत चिंताओं का इसे अधिसूचित करने से पहले ही निराकरण कर लिया जाना चाहिए था।

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प्रदेश सरकार विपक्षी दलों और विभिन्न किसान संगठनों की आलोचना का सामना कर रही थी, जिन्होंने लैंड पूलिंग पॉलिसी को किसानों से उनकी जमीन ‘छीनने’ के उद्देश्य से लाई गई एक ‘लूट’ योजना करार दिया था। शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस एवं कई अन्य दलों ने इस नीति के खिलाफ प्रदर्शन किए थे। संयुक्त किसान मोर्चा समेत विभिन्न किसान संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी।

65 हजार एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की योजना थी

पंजाब सरकार ने आवासीय और औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए लुधियाना के कई गांवों समेत 164 गांवों की लगभग 65 हजार एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की योजना बनाई थी। इससे पहले, सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया था कि भूस्वामियों से एक गज भी जमीन जबरन नहीं ली जाएगी। उसने इस बात पर जोर दिया था कि यह नीति राज्य भर में पारदर्शी और नियोजित शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।

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