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Punjab farmers protest: विरोध प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं को कल बातचीत के लिए बुलाया

कई किसान नेता सुरक्षा बलों को चकमा दे किसान भवन तक पहुंचने में सफल रहे
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किसान भवन में धरने पर बैठे किसान। ट्रिब्यून
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चंडीगढ़, 18 अक्तूबर (ट्रिन्यू)

Punjab farmers protest: धान की खरीद उचित तरीके से न होने को लेकर किसानों, राइस मिलर्स और कमीशन एजेंटों के विरोध प्रदर्शन के बीच शुक्रवार को पंजाब पुलिस ने मोहाली जिले में कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया। ये नेता चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे थे।

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हालांकि, कुछ नेता सुरक्षा बलों को चकमा देकर चंडीगढ़ के सेक्टर 35 स्थित किसान भवन तक पहुंचने में सफल रहे, जहां उन्हें बैरिकेड्स लगाकर रोक दिया गया और रैपिड एक्शन फोर्स ने इमारत के बाहर पहरा लगा दिया। इस बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसान नेताओं को कल बातचीत के लिए बुलाया है। किसान नेता रामिंदर सिंह ने कहा, "हम यहां से वापस नहीं जाएंगे। कल मुख्यमंत्री से बैठक होगी, लेकिन किसान भवन को हम अपने विरोध का केंद्र बनाएंगे।"

किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के आवास की ओर मार्च करने का फैसला सभी नेताओं के पहुंचने के बाद किया जाएगा। इस बीच, मंजीत धनर, रुल्दू सिंह मंसा, अंगरेज सिंह, तरसेम सिंह बैंस और गुरमीत सिंह मेहमा सहित कई प्रमुख किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

इससे पहले, धान खरीद में हो रही देरी के विरोध में किसान नेताओं के मार्च से पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार शाम को वार्ता के लिए विभिन्न किसान संघों के नेताओं को आमंत्रित किया।

किसान संघों, आढ़तियों और राइस मिलर्स के सदस्य और नेता पूरे पंजाब से चंडीगढ़ की ओर कूच कर रहे हैं। हालांकि, किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस उन्हें शहर के बाहरी इलाकों में रोक रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेता रामिंदर सिंह ने बताया कि उनके साथ आने वाले कई किसानों को एयरपोर्ट रोड पर रोक दिया गया है। उन्होंने कहा, "कई अन्य किसान नेताओं, जिनमें बलबीर सिंह राजेवाल शामिल हैं, को भागो माजरा में रोका गया है।"

धान खरीद के तीन प्रमुख हितधारक—किसान, राइस मिलर्स और कमीशन एजेंट—धान खरीद सीजन शुरू होने के बाद से ही विरोध कर रहे हैं। किसान मंडियों में धान रखने के लिए जगह नहीं होने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि मिलर्स धान की मिलिंग करने से इन्कार कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने धान रखने के लिए अपनी जगह सरकार को देने की सहमति दी है। दूसरी ओर, कमीशन एजेंट अपनी कमीशन को 2.5 प्रतिशत बहाल करने की मांग कर रहे हैं, जो कुछ साल पहले 46 रुपये प्रति क्विंटल पर सीमित कर दी गई थी।

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