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हरियाणा में कैदियों को मिलेगी समाजसेवा की ‘सजा’

न्याय का नया मॉडल : सामुदायिक सेवा दिशानिर्देश-2025 जारी
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हरियाणा सरकार ने न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ‘सामुदायिक सेवा दिशानिर्देश, 2025’ लागू किए हैं। इसके तहत कुछ मामलों में अपराधियों को जेल भेजने के बजाय समाजोपयोगी कार्य करने का अवसर मिलेगा। उन्हें गलती सुधारने और समाज की मुख्य धारा में लौटने का मौका मिलेगा।गृह एवं न्याय प्रशासन की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने इन दिशानिर्देशों को लागू करने के आदेश जारी किए हैं। नयी नीति के तहत न्यायाधीशों को विवेकाधिकार होगा कि वह पहली बार अपराध करने वालों को कारावास के बजाय समाज सेवा का आदेश दें।

निर्देशों के तहत मुख्यालय की ओर से समाज सेवाओं को भी चिह्नित किया गया है। जेलों में बंद कैदी एवं बंदी, नदियों के किनारे पेड़ लगाने, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों की मदद करने, विरासत (ऐतिहासिक) स्थलों का संरक्षण, सार्वजनिक पार्कों की सफाई और स्वच्छ भारत अभियान जैसे जनकल्याण कार्यक्रमों में भागीदारी कर सकेंगे। कार्य का चयन अपराधी की उम्र, स्वास्थ्य और कौशल के आधार पर होगा, ताकि यह उनके लिए व्यक्तिगत रूप से सार्थक एवं समाज के लिए लाभकारी बन सके।

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जेलों का बोझ घटेगा, समाज को मिलेगा फायदा

डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि इस नीति से जेलों में भीड़ घटेगी और सुधारात्मक सुविधाओं पर दबाव कम होगा। वहीं, समुदायों को प्रत्यक्ष रूप से ठोस सुधार का लाभ मिलेगा। अपराधियों की गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट अदालतों को भेजी जाएगी, जिससे न्यायिक अधिकारी वास्तविक समय में निगरानी कर सकेंगे।

महिलाओं और किशोरों पर खास ध्यान

दिशानिर्देशों में विशेष श्रेणियों के लिए अलग प्रावधान हैं। किशोरों को एनसीसी प्रशिक्षण, स्किल वर्कशॉप और पर्यावरण परियोजनाओं में लगाया जाएगा, ताकि उनमें अनुशासन और उद्देश्य की भावना विकसित हो। महिला अपराधियों को नारी निकेतन, आंगनवाड़ी केंद्रों, प्रसूति वार्ड और बाल देखभाल सुविधाओं जैसी जगहों पर सेवा का अवसर मिलेगा।

जिम्मेदारी की संस्कृति

सरकार का कहना है कि यह नीति जवाबदेही, सहानुभूति और नागरिकता की स्थायी सीख देने का माध्यम बनेगी। अपराधी सीधे उन्हीं समुदायों के लिए योगदान देंगे, जिन्हें उन्होंने चोट पहुंचाई है। यह पहल हरियाणा को उन चुनिंदा राज्यों की कतार में ला खड़ा करती है, जो न्याय को केवल दंड नहीं बल्कि सुधार और पुनर्स्थापना का जरिया मानते हैं।

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