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Impeachment: जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग के लिए राज्यसभा में विपक्ष ने दिया नोटिस

Impeachment: विहिप के कार्यक्रम में विवादित बयान देने का है आरोप
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जस्टिस शेखर यादव की फाइल फोटो। स्रोत सोशल मीडिया
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नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा)

Impeachment: विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर यादव के हालिया ‘विवादास्पद बयान' के लिए उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के वास्ते शुक्रवार को राज्यसभा में नोटिस दिया।

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सूत्रों ने यह जानाकारी देते हुए बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग के लिए 55 विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में दिए गए नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें कांग्रेस के कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रटास, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा और तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि सांसदों ने राज्यसभा महासचिव से मुलाकात की और महाभियोग का नोटिस सौंपा। न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संविधान के अनुच्छेद 218 के तहत प्रस्ताव के लिए नोटिस पेश किया गया। नोटिस में कहा गया है कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति यादव द्वारा दिए गए भाषण या व्याख्यान से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि उन्होंने ‘भारत के संविधान का उल्लंघन करते हुए, नफरत फैलाने वाला भाषण दिया और सांप्रदायिक विद्वेष को भड़काया'।

इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि न्यायाधीश ने प्रथम दृष्टया यह दिखाया कि उन्होंने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह और पक्षपात जाहिर किया। इसमें आगे कहा गया कि न्यायाधीश ने दिखाया कि न्यायमूर्ति यादव ने समान नागरिक संहिता से संबंधित राजनीतिक मामलों पर सार्वजनिक बहस में भाग लिया या सार्वजनिक रूप से अपने विचार व्यक्त किए, जो न्यायिक जीवन के मूल्यों के पुनर्कथन, 1997 का उल्लंघन है।

विश्व हिंदू परिषद के आठ दिसंबर को आयोजित एक समारोह में न्यायमूर्ति यादव ने कथित तौर पर कहा था कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। एक दिन बाद, न्यायाधीश के कथित भड़काऊ मुद्दों पर बोलने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर आए, जिसके बाद विपक्षी नेताओं सहित कई हलकों से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को न्यायमूर्ति यादव के कथित विवादास्पद बयानों पर समाचार रिपोर्टों का संज्ञान लिया और इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से विवरण मांगा।

सरकार ने 2024-25 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों को राज्यसभा में विचार के लिए रखा

राज्यसभा में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 44,143 करोड़ रुपये के अतिरिक्त शुद्ध नकदी व्यय संबंधी अनुदान की अनुपूरक मांगों को विचार करने के लिए रखा। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच को उच्च सदन में विचार किए जाने के लिए रखा जिसमें 87,762.56 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने के लिए संसद की अनुमति मांगी गई है।

इसमें से, शुद्ध नकद व्यय से संबंधित प्रस्ताव कुल मिलाकर 44,142.87 करोड़ रुपये के हैं तथा मंत्रालयों/विभागों की बचत या बढ़ी हुई प्राप्तियों/वसूलियों के साथ सकल अतिरिक्त व्यय कुल मिलाकर 43,618.43 करोड़ रुपये है।

अतिरिक्त व्यय में उर्वरक सब्सिडी योजना के लिए 6,593.73 करोड़ रुपये, कृषि और कृषक कल्याण के लिए 9,000 करोड़ रुपये तथा रक्षा के लिए 8,000 करोड़ रुपये का व्यय शामिल है। इसमें विदेश मंत्रालय के व्यय के लिए 3,000 करोड़ रुपये तथा गृह मंत्रालय के खर्चों के लिए 4,800 करोड़ रुपये की मांग शामिल है। सरकार की ओर से इन अनुपूरक मांगों को कल लोकसभा में विचार और मंजूरी दिए जाने के लिए रखा गया था

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