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अब कांग्रेस भी करेगी संगठन में माइक्रो लेवल स्ट्रक्चरिंग

भाजपा के बूथ मैनेजमेंट फार्मूले की नकल
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राहुल गांधी।
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कांग्रेस ने हरियाणा में जिलाध्यक्षों को अब चेहरे से ज्यादा कार्यकर्ता बनने का सख्त संदेश दिया है। पार्टी हाईकमान ने साफ कर दिया कि जिलाध्यक्ष किसी एक बड़े नेता के फालोअर नहीं, बल्कि कांग्रेस की रीढ़ बनकर काम करेंगे। राहुल गांधी ने जिलाध्यक्षों से कहा –‘खुद को टीम राहुल मानो, जनता की आवाज बनो और ‘बिचौलियों’ से दूरी रखो।’

रविवार को नई दिल्ली में में हुई विशेष ओरिएंटेशन मीटिंग में जिलाध्यक्षों को पहला अल्टीमेटम दे दिया गया – अगले दस दिन में अपने जिले का एक्टिव दफ्तर खोलना होगा। यही नहीं, एक महीने के भीतर ब्लॉक प्रधानों और बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) की लिस्ट बनाकर पार्टी दफ्तर में जमा करनी होगी। कांग्रेस अब भाजपा की तरह बूथ लेवल तक संगठन खड़ा करने के मूड में है। हर बूथ पर 5 बीएलए होंगे, जिनमें महिला, यूथ और एससी–बीसी प्रतिनिधित्व अनिवार्य होगा। पंद्रह–बीस बूथ मिलकर सेक्टर, फिर मंडल, उसके बाद ब्लॉक बनेगा।

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हाईकमान ने जिलाध्यक्षों को राजनीतिक ताकत भी दी है। लोकसभा–विधानसभा टिकटों के साथ-साथ शहरी निकाय चुनावों में भी जिलाध्यक्षों की राय निर्णायक मानी जाएगी। इतना ही नहीं, केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग में भी संबंधित जिले का प्रधान शामिल होगा।

पार्टी ने जिलाध्यक्षों से कहा है कि वे सिर्फ ऑफलाइन नहीं, बल्कि ऑनलाइन भी एक्टिव हों। हर जिले का अलग फेसबुक पेज बनाना होगा, यूट्यूब–इंस्टाग्राम–एक्स पर अभियान चलाना होगा। इसके अलावा हर माह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस और स्थानीय मुद्दों पर कम से कम एक पैदल मार्च अनिवार्य होगा। संगठन ने जिलाध्यक्षों को सीधे ‘कनेक्ट सेंटर’ से जोड़ दिया है। यह सेंटर ‘टीम राहुल’ ऑपरेट करती है। हरियाणा में समन्वय की जिम्मेदारी रॉकी तुसीढ़ को सौंपी गई है। हर जिलाध्यक्ष को ‘आरजे ग्रुप’ यानी राहुल गांधी के नाम से बने स्पेशल व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया है।

कांग्रेस का फार्मूला

कांग्रेस का यह पूरा रोडमैप साफ दिखाता है कि पार्टी भाजपा के बूथ मैनेजमेंट मॉडल को ही टक्कर देने उतरी है। भाजपा जहां ‘पन्ना प्रमुख’ पर खेलती है, कांग्रेस अब ‘बीएलए’ के फार्मूले से संगठन को माइक्रो लेवल तक मजबूत करेगी। फर्क सिर्फ इतना है कि कांग्रेस इसमें जातीय संतुलन और महिला-युवा भागीदारी को भी फार्मूले का हिस्सा बना रही है।

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