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विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर राज्यपाल की मंजूरी के लिए कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

कहा- समयसीमा तय करना उनकी शक्तियों के विभाजन को कुचलना होगा 

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सुप्रीम कोर्ट।
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सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया कि विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर राज्यपाल की मंजूरी के लिए कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोक कर नहीं रख सकते, लेकिन समयसीमा तय करना शक्तियों के विभाजन को कुचलना होगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में राज्यपालों के लिए समयसीमा तय करना संविधान द्वारा प्रदत्त लचीलेपन की भावना के खिलाफ है। राज्यपालों के पास तीन ही विकल्प होते हैं- या तो वे विधेयकों को मंजूरी दें या उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस भेजें या उन्हें राष्ट्रपति के संदर्भ के लिए भेजें। अदालत ने कहा कि हमें नहीं लगता कि राज्यपालों के पास राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को लंबित रखने का असीमित अधिकार है। यदि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना रोक कर रखते हैं तो यह संघवाद की भावना के खिलाफ होगा।

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