Monsoon Update: 2009 के बाद पहली बार... मानसून ने केरल में इतनी जल्दी दी दस्तक
नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा)
Monsoon Update: दक्षिण-पश्चिमी मानसून शनिवार को केरल पहुंच गया जो 2009 के बाद से भारतीय मुख्य भूमि पर इसका सबसे जल्दी आगमन है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी। मानसून 2009 में 23 मई को केरल पहुंचा था।
दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्यतः एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंचता है। उत्तर-पश्चिमी भारत से इसकी वापसी 17 सितंबर के आसपास शुरू हो जाती है और 15 अक्टूबर तक यह पूरी तरह से वापस चला जाता है।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, मानसून दक्षिणी राज्य में पिछले साल 30 मई को, 2023 में आठ जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून को, 2019 में आठ जून को और 2018 में 29 मई को आया था। इस संबंध में 1975 से उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि मानसून केरल में सबसे जल्दी 1990 में (19 मई को) पहुंचा था जो सामान्य तिथि से 13 दिन पहले था।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी उसी तरह पहुंचेगा। आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में मानसून का आगमन वैश्विक, क्षेत्रीय एवं स्थानीय समेत कई कारकों से तय होता है।
आईएमडी ने अप्रैल में इस साल मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया था जिससे अल नीनो की स्थिति की संभावना खारिज हो गई। अल नीनो प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है। आईएमडी के अनुसार, 50 साल के औसत 87 सेंटीमीटर के 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच की बारिश को ‘सामान्य' माना जाता है।
दीर्घावधि औसत के हिसाब से 90 प्रतिशत से कम वर्षा को ‘कमी', 90 से 95 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से कम', 105 से 110 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से अधिक' और 100 प्रतिशत से अधिक वर्षा को ‘अधिक' वर्षा माना जाता है।
भारत में 2024 में 934.8 मिमी बारिश हुई थी जो औसत का 108 प्रतिशत तथा 2020 के बाद से सबसे अधिक है। इससे पहले 2023 में 820 मिमी यानी औसत का 94.4 प्रतिशत बारिश हुई थी। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 925 मिमी, 2021 में 870 मिमी और 2020 में 958 मिमी बारिश हुई थी।
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका में सहयोग प्रदान करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून देश भर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए अहम जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।