शी जिनपिंग से मुलाकात में मोदी का संदेश- संबंधों के लिए सीमा पर शांति जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों का भविष्य सीमा पर निरंतर शांति पर निर्भर करता है और इसे किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। वहीं, शी ने कहा कि सीमा मुद्दे को समग्र चीन-भारत संबंधों को परिभाषित नहीं करने देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘दोनों के लिए यह सही विकल्प है कि वे ऐसे दोस्त बनें जिनके बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हों, ऐसे साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों और ‘ड्रैगन’ एवं ‘हाथी’ एक साथ डांस करें।’
दोनों नेताओं की मुलाकात चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर हुई। पिछले साल अक्तूबर के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी। बातचीत में व्यापार को बढ़ावा देना, सीधी उड़ानें फिर से शुरू करना, सीमा पार नदियों से जुड़े आंकड़े साझा करना और इस विचार की पुष्टि करना शामिल था कि भारत-चीन ‘प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि विकास साझेदार’ हैं।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के महत्व को रेखांकित किया।’ चीन में एक संवाददाता सम्मेलन में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दोहराया, ‘सीमा की स्थिति द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करेगी। (सीमा पर) शांति और स्थिरता, द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक बीमा पॉलिसी की तरह है।’
मिस्री ने बताया कि पीएम मोदी ने सीमा पार आतंकवाद की चुनौती का जिक्र किया और इससे निपटने के लिए एक-दूसरे को समर्थन देने की वकालत की, क्योंकि भारत और चीन दोनों ही इस खतरे से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, ‘वर्तमान एससीओ शिखर सम्मेलन के संदर्भ में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से निपटने में हमें चीन से समर्थन और सहयोग मिला है।’
द्विपक्षीय बैठक में मोदी ने कहा, ‘भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।’ इस संदर्भ में ‘तीसरे देश का दृष्टिकोण’, अमेरिका और पाकिस्तान से है।
सूत्रों ने कहा कि नयी दिल्ली का वाशिंगटन को संदेश यह था कि क्वाड में भारत की भागीदारी के बावजूद भारत-चीन संबंध स्वतंत्र बने रहेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने ‘निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य’ सीमा समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
वाशिंगटन की टैरिफ नीतियों को लेकर भारत-अमेरिका संबंधों में हाल ही में आये तनाव की पृष्ठभूमि में मोदी की यात्रा पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मिस्री ने पुष्टि की कि अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर चर्चा हुई, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि टैरिफ पर चर्चा हुई या नहीं। पीएम मोदी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति की सदस्य कै क्यूई के साथ भी एक अलग बैठक की।
मोदी-पुतिन बैठक आज, तेल-हथियारों पर बातचीत संभव
भारत पर अमेरिकी टैरिफ के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोमवार को चीन में द्विपक्षीय बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि तेल व्यापार और हथियारों से संबंधित मुद्दों पर दोनों के बीच बातचीत हो सकती है।
संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद के खिलाफ कड़े रुख पर ज़ोर देगा भारत
उज्ज्वल जलाली/ट्रिन्यू : शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन सोमवार को नयी दिल्ली का ध्यान संयुक्त घोषणापत्र, विशेष रूप से आतंकवाद के संदर्भ पर है। भारत को उम्मीद है कि इस दस्तावेज़ में सीमा पार आतंकवाद के ख़िलाफ़ कड़े शब्दों का इस्तेमाल होगा। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे भारत ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर लगातार उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, मोदी एससीओ के ढांचे के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के भारत के दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे। गौरतलब है कि जून में क़िंगदाओ में हुई एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने सीमा पार आतंकवाद का कोई ज़िक्र न होने पर आपत्ति जताते हुए संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। यह सम्मलेन पहलगाम हमले के कुछ दिन बाद ही हुआ था। उस समय, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में दोहरे मानदंडों के ख़िलाफ़ चेतावनी दी थी और ज़ोर देकर कहा था कि आतंकवाद के प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद, कट्टरपंथ और उग्रवाद को क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आपसी विश्वास के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया। राजनयिक सूत्रों ने संकेत दिया कि नयी दिल्ली इस घोषणापत्र में आतंकवाद को एक क्षेत्रीय चुनौती के रूप में स्पष्ट रूप से मान्यता देने पर जोर देगी।