महाराष्ट्र शीतकालीन सत्र : विपक्ष ने चाय पार्टी का किया बहिष्कार
महाराष्ट्र में विपक्ष ने शीतकालीन सत्र की शुरुआत होने की पूर्व संध्या पर रविवार को सरकार की परंपरागत चाय पार्टी का बहिष्कार किया। विपक्ष का कहना है कि सरकार राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं (एलओपी) की...
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महाराष्ट्र में विपक्ष ने शीतकालीन सत्र की शुरुआत होने की पूर्व संध्या पर रविवार को सरकार की परंपरागत चाय पार्टी का बहिष्कार किया। विपक्ष का कहना है कि सरकार राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं (एलओपी) की नियुक्ति करने में विफल रही है। कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने संवाददाताओं को बताया कि चाय पार्टी का निमंत्रण विपक्ष के नेताओं के बजाय व्यक्तिगत रूप से विधायकों को भेजा गया था। उन्होंने यहां विधान भवन परिसर में शिवसेना (उबाठा) नेताओं भास्कर जाधव, सुनील प्रभु और नितिन राउत तथा राकांपा (एसपी) के अनिल देशमुख के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दोनों सदनों में विपक्ष के नेता नहीं हैं और पद रिक्त हैं। ये दोनों ही वैधानिक पद हैं। दोनों पदों को रिक्त रखकर सरकार ने दिखा दिया है कि उसे संविधान पर भरोसा नहीं है। इसलिए हमने चाय कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव में विपक्ष की करारी हार के बाद, कोई भी पार्टी कुल 288 सीट में से 10 प्रतिशत सीट नहीं जीत सकी थी। नियमानुसार, विपक्ष के नेता पद पर दावा करने के लिए किसी भी विपक्षी दल के लिये कम से कम 10 प्रतिशत सीट जीतना जरूरी है। वडेट्टीवार ने कहा कि 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास 14 विधायक थे, फिर भी विपक्ष के नेता का पद भाजपा को दिया गया। इसी तरह, 1985 में भाजपा के पास 16 विधायक थे, फिर भी उसे नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया। वडेट्टीवार ने कहा, ‘हमने (कांग्रेस ने) कभी भी विपक्ष के नेता का संवैधानिक पद खाली नहीं रखा था।' शिवसेना (उबाठा) नेता भास्कर जाधव ने दावा किया कि सरकार विपक्ष से डरी हुई है, क्योंकि उसने ‘पाप' किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता का पद संवैधानिक है और सरकार को डर है कि विपक्ष के नेता सरकार की पोल खोल देंगे।
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