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मोरनी में 50 से अधिक स्थानों पर भूस्खलन

मनोज कुमार/निस मोरनी, 10 जुलाई मोरनी इलाके में हो रही भारी बारिश से भूस्खलन की घटनाओं में भारी इजाफा हुआ है। मोरनी से पंचकूला जाने वाले दोनों मुख्य मार्ग के अलावा लोकल रूटस पर भी जगह जगह पहाड़ों से भारी...
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मनोज कुमार/निस

मोरनी, 10 जुलाई

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मोरनी इलाके में हो रही भारी बारिश से भूस्खलन की घटनाओं में भारी इजाफा हुआ है। मोरनी से पंचकूला जाने वाले दोनों मुख्य मार्ग के अलावा लोकल रूटस पर भी जगह जगह पहाड़ों से भारी मात्रा में मलबा सड़कों पर पडा है। मोरनी से बड़ीशेर, टिक्करताल, नीमवाला, ठंडोग आदि सभी सड़कों पर पहाड धरकने से आवाजाही बंद है। रास्ते बंद होने के चलते स्थानिय ग्रामीण अपने घरों में कैद होकर रह गऐ है। एमरजेंसी स्थिति

से निपटने में भी लाचार साबित हो रहे है। दर्जनभर से अधिक मुख्य सड़कों पर किनारों पर लगाई गई बचाव दीवारे ढह गई है। जिससे सड़क मार्ग भी अवरूध पडे है। यूं कहें कि इलाके का संपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तह कट चुका है।

भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं पर स्थानिय ग्रामीणों व इलाके की स्थिती से वाकिफ लोगों का मानना है कि पहाड़ी इलाके में सड़कों को चौड़ा करने के लिए पहाड़ों को ऊपर से काटा गया है। इसी वजह से भूस्खलन की स्थिति ज्यादा हो रही है। लगातार पहाड़ों की कटाई की वजह से पहाड़ी इलाके में खतरा बढ़ता ही जा रहा है। पहाड़ बुनियादी रुप से कमजोर होन­े लगे है। अपने नीजि स्वार्थों के लिए पहाड़ों को काटने के चलते सरकारी संपत्ती के साथ वन संपदा को भारी नुक्सान पहुंच रहा है।

मानसून की इस बारिश में शुरू हुई भूस्खलन की घटनाओं से इलाके के ग्रामीण नाराज है। उनका कहना है कि विकास के नाम पर इलाके को बर्बाद किया जा रहा है। अभी तो पहाड़ों को गिरना शुरू हुआ है। जब मौसम में कुछ धूप खिलेगी तो पहाड़ों पर और अधिक भूस्खलन होगा। ​इस विनाश की भरपाई कर पाना संभव नही होगा। मोरनी के टिककर ताल के गांव ढिंडन में मोहन लाल के घर की छत गिरने से भारी नुकसान गांव के लोगों ने मौके पर पंहुचकर चार पशुओं को मलबे से जीवित निकाला लेकिन एक बकरी की मौके पर ही मौत हो गई ।

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