मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

भारत ने ऊर्जा व्यापार का दायरा घटने के मुद्दे पर जताई चिंता

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
Advertisement
भारत ने ऊर्जा व्यापार का दायरा लगातार सीमित होने, मानदंडों के चयनात्मक अनुप्रयोग और बाजार पहुंच के मुद्दों पर सोमवार को गंभीर चिंता जताई। विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह टिप्पणी रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तल्खी आने की पृष्ठभूमि में आई है। कुआलालंपुर में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि विश्व को आतंकवाद के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने' की नीति अपनानी चाहिए, क्योंकि इस खतरे के खिलाफ रक्षा के अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता। सम्मेलन में ऊर्जा व्यापार, बाजार पहुंच और आपूर्ति श्रृंखलाओं से संबंधित उनकी टिप्पणियों ने ध्यान आकर्षित किया। जयशंकर ने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। प्रौद्योगिकी प्रगति बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है। प्राकृतिक संसाधनों की खोज तो और भी अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है।' उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा व्यापार का दायरा सीमित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार से जुड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं। सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए।'

जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो से की व्यापार समझौते पर बात

कुआलालंपुर (एजेंसी) : भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क के कारण दोनों देशों में पैदा हुए तनाव के बाद द्विपक्षीय संबंधों को फिर से पटरी पर लाने के प्रयासों के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोमवार को यहां वार्ता की। जयशंकर और रुबियो की मुलाकात कुआलालंपुर में दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर हुई। जयशंकर ने सोशल मीडिया ‘पोस्ट' में लिखा, ‘कुआलालंपुर में आज सुबह विदेश मंत्री रुबियो से मिलकर खुशी हुई। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हुई चर्चा की सराहना की।' ऐसा समझा जाता है कि जयशंकर और रुबियो ने दोनों पक्षों के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते पर भी व्यापक चर्चा की। हालांकि, इस बात का कोई संकेत नहीं था कि अमेरिकी पक्ष ने भारत को रूस के साथ ऊर्जा संबंधों के लिए लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क को हटाने का आश्वासन दिया है।

Advertisement

 

 

 

Advertisement
Show comments