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Artificial Islands: तीन वर्षों में चीन बनाएगा दुनिया का पहला तैरता हुआ कृत्रिम द्वीप, जो झेल सकेगा ’परमाणु हमले’

Artificial Islands: चीन एक विशाल तैरते हुए समुद्री अनुसंधान प्लेटफॉर्म का निर्माण कर रहा है, जिसे परमाणु धमाके की शॉक वेव से भी सुरक्षित रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना समुद्री प्रभाव...

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सांकेतिक फाइल फोटो। iStock
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Artificial Islands: चीन एक विशाल तैरते हुए समुद्री अनुसंधान प्लेटफॉर्म का निर्माण कर रहा है, जिसे परमाणु धमाके की शॉक वेव से भी सुरक्षित रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना समुद्री प्रभाव क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को नया रूप दे सकती है।

चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत राष्ट्रीय प्रमुख वैज्ञानिक अवसंरचना परियोजना के रूप में शामिल यह डीप-सी ऑल-वेधर रेज़िडेंट फ्लोटिंग रिसर्च फैसिलिटी दुनिया का पहला मोबाइल, आत्मनिर्भर कृत्रिम द्वीप होगा। scmp.com के अनुसार यह 78,000 टन वजन वाला, अर्ध-डूबानुमा (सेमी-सबमर्सिबल) ट्विन-हल संरचना वाला प्लेटफॉर्म है, जो समुद्र में लंबे समय तक कार्य करने में सक्षम होगा।

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विशाल क्षमता और संरचना

शंघाई जिआओ टोंग यूनिवर्सिटी (SJTU) द्वारा विकसित इस प्लेटफॉर्म के बारे में जानकारी।

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  • लंबाई: 138 मीटर
  • चौड़ाई: 85 मीटर
  • मुख्य डेक की ऊँचाई: 45 मीटर
  • क्षमता: 238 लोग, 4 महीने तक बिना किसी सप्लाई के
  • गति: 15 नॉट तक
  • समुद्र की उग्र अवस्था (Sea State 7) में भी संचालन सक्षम
  • कैटेगरी-17 टाइफून तक सहन करने में सक्षम
  • परमाणु धमाके को झेलने योग्य डिज़ाइन

हालांकि इसे नागरिक परियोजना बताया गया है, इसकी संरचना में परमाणु विस्फोट से सुरक्षा के लिए सैन्य स्तर की तकनीक शामिल है। SJTU के प्रोफेसर यांग डेचिंग की टीम द्वारा प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार सुपर-स्ट्रक्चर के कुछ हिस्सों में GJB 1060.1-1991 नामक चीनी सैन्य मानक का उपयोग किया गया है। इन संरक्षित कक्षों में बिजली, नेविगेशन और संचार की महत्वपूर्ण प्रणालियां रखी जाएंगी।

उन्नत ’मेटामटेरियल’ शॉक-एब्जॉर्बर

भारी स्टील के बजाय वैज्ञानिकों ने 60 मिमी मोटी मेटामटेरियल सैंडविच बल्कहेड विकसित की है। यह निगेटिव पॉइसन रेशियो वाले नलिकाओं (corrugated tubes) से बनी होती है। परमाणु धमाके की तीखी शॉक वेव को धीमे, नियंत्रित दबाव में बदल देती है।  इससे संरचना पर पड़ने वाला तनाव कम होता है।

लाभ

  • विस्थापन में 58.5% की कमी
  • अधिकतम तनाव में 14.25% की कमी
  • भारी आर्मर की तुलना में हल्की और अधिक प्रभावी

रणनीतिक महत्व

यह प्लेटफॉर्म 2028 तक सेवा में आने की उम्मीद है। अपने आकार, गतिशीलता और सहनशक्ति के कारण यह चीन को दूरस्थ या विवादित क्षेत्रों विशेषकर दक्षिण चीन सागर में निरंतर उपस्थिति बनाए रखने में मदद कर सकता है। हालांकि चीन इसे महासागरीय शोध, उपकरण परीक्षण और गहरे समुद्र संसाधन अध्ययन के लिए बता रहा है, विशेषज्ञों का मानना है कि इसका उपयोग कमांड सेंटर, लॉजिस्टिक हब, या निगरानी प्लेटफॉर्म के रूप में भी किया जा सकता है।

’ब्लू इकोनॉमी’ में चीन की बड़ी छलांग

  • समुद्र तल खनन
  • समुद्री नवीकरणीय ऊर्जा
  • जलवायु अनुसंधान
  • समुद्री प्रौद्योगिकी विकास

मुख्य बिंदु (Key Points)

  • दुनिया का पहला तैरता कृत्रिम द्वीप: 78,000 टन, सेमी-सबमर्सिबल, लंबे मिशनों के लिए सक्षम।
  • परमाणु धमाके से सुरक्षा: उन्नत मेटामटेरियल दीवारों का उपयोग, भारी स्टील की आवश्यकता नहीं।
  • सैन्य मानकों पर आधारित डिज़ाइन: GJB 1060.1-1991 सैन्य मानक का उपयोग।
  • उच्च धारण क्षमता: 238 लोग, 120 दिन तक बिना सप्लाई।
  • बुरे मौसम में भी संचालन: Sea State 7 में भी काम कर सकता है, Cat-17 टाइफून झेलने योग्य।
  • हल्का किन्तु मजबूत मेटामटेरियल: 60 मिमी पैनल, विस्थापन में 58.5% कमी, तनाव में 14.25% कमी।
  • रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण: दक्षिण चीन सागर में चीन की उपस्थिति बढ़ा सकता है।
  • द्वि-उपयोग (Dual Use) क्षमता: शोध के साथ निगरानी या कमांड पोस्ट बन सकता है।
  • लक्ष्य वर्ष 2028: तब तक पूरी तरह से संचालन में आ जाएगा।
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