सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से पूछा कि अगर केरल के त्रिशूर में 65 किलोमीटर लंबे राजमार्ग को तय करने में 12 घंटे लगते हैं, तो किसी यात्री को 150 रुपये के टोल (शुल्क) का भुगतान करने के लिये क्यों कहा जाए। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने यह टिप्पणी एनएचएआई और टोल वसूलने का अधिकार रखने वाली कंपनी ‘गुरुवायूर इंफ्रास्ट्रक्चर’ द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए की। याचिका में त्रिशूर के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर टोल संग्रह पर रोक लगाने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है।
सीजेआई ने कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति को सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में 12 घंटे लगते हैं, तो उसे 150 रुपये क्यों देने चाहिए? जिस सड़क पर एक घंटे का समय लगने की उम्मीद है, उसमें 11 घंटे और लगते हैं और उन्हें टोल भी देना पड़ता है।’ सुनवाई के दौरान पीठ को सप्ताहांत में इस मार्ग पर लगभग 12 घंटे तक यातायात जाम रहने की जानकारी दी गई। हाईकोर्ट ने छह अगस्त को राष्ट्रीय राजमार्ग 544 के एडापल्ली-मन्नुथी खंड की खराब स्थिति और निर्माण कार्यों के कारण उत्पन्न गंभीर यातायात जाम के आधार पर टोल निलंबन का आदेश दिया था।