बिहार एसआईआर गड़बड़ी मिली तो रद्द कर देंगे पूरी प्रक्रिया : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह यह मानता है कि निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक प्राधिकार होने के नाते बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान कानून का पालन कर रहा है। अदालत ने इसके साथ ही आगाह किया कि यदि बिहार में एसआईआर के किसी भी चरण में आयोग द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में कोई अवैधता मिलती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार एसआईआर की वैधता पर अंतिम दलीलें सुनने के लिए 7 अक्तूबर की तारीख तय की और इस कवायद पर ‘टुकड़ों में राय’ देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, ‘बिहार एसआईआर में हमारा फैसला पूरे भारत में एसआईआर के लिए लागू होगा।’ इसने स्पष्ट किया कि वह निर्वाचन आयोग को देश भर में मतदाता सूची में संशोधन के लिए इसी तरह की प्रक्रिया करने से नहीं रोक सकती। हालांकि, पीठ ने बिहार एसआईआर कवायद के खिलाफ याचिका दायर करने वालों को 7 अक्तूबर को अखिल भारतीय एसआईआर पर भी दलील रखने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से मामले के निर्णय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा, ‘मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से क्या फर्क पड़ेगा? अगर हमें लगा कि इसमें कुछ अवैध है, तो हम इसे रद्द कर सकते हैं।’
इस बीच, न्यायालय ने आठ सितंबर के अपने उस आदेश को वापस लेने का आग्रह करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें निर्वाचन आयोग को बिहार एसआईआर में 12वें निर्धारित दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड
को शामिल करने का निर्देश दिया गया था।
निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने शुरू में पीठ से अनुरोध किया कि एसआईआर प्रक्रिया का अंतिम मूल्यांकन होने तक सुनवाई स्थगित कर देनी चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग नियमों और अपनी नियमावली का घोर उल्लंघन कर रहा है।