परवान नहीं चढ़ पा रहा होली-उतराला-बैजनाथ मार्ग
बजट के अभाव और फारेस्ट क्लीयरेंस न होने के कारण बंद हुआ निर्माण कार्य
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हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में स्थित प्रस्तावित होली-उतराला-बैजनाथ मार्ग निर्माण से जनजातीय क्षेत्रवासियों को भरपूर लाभ जहां प्राप्त होगा। वहीं उनके लिए आय के साधनों में इजाफा होगा। लेकिन यह सपना कब साकार होगा इस पर भरमौर, होली, उतराला सहित बैजनाथ निवासी टकटकी लगाए बैठे हैं जबकि राज्य की सत्ता पर विराजमान होने वाली कांग्रेस व भाजपा सरकारें अपने-अपने कार्यकाल में सड़क निर्माण से लेकर सुरंग निर्माण सपने लोगों को एक नहीं अनेक बार दिखा चुके हैं। लेकिन जमीनी हकीकत में न निर्माणाधीन सड़क का काम परवान चढ़ पा रहा और न सुरंग निर्माण को लेकर केंद्र हरी झंडी दिखा रहा है। इससे यह सपना मुंगेरी लाल के हसीन सपनों से अधिक और कुछ प्रतीत नहीं हो रहा।
पूर्व सरकार ने गत वर्ष हिमाचल दिवस पर पांच करोड़ रुपये और उपलब्ध करवाने की घोषणा की है। इससे एक बात स्पष्ट हुई है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम सरकार के लिए यह सड़क प्राथमिकताओं में से एक रही। होली-उतराला मार्ग का निर्माण कार्य बैजनाथ की तरफ से भी शुरू हुआ लेकिन अचानक बंद हो गया जबकि करीब 65 कि.मी. बनने वाली इस सड़क का 32 किलोमीटर का हिस्सा बैजनाथ की ओर से बनेगा। सड़क का निर्माण कार्य वर्ष 1998 में शुरू हुआ था। कुछ किलोमीटर बनने के बाद ही कार्य बजट के अभाव और फारेस्ट क्लीयरेंस न होने के कारण बंद हो गया।
200 किमी की दूरी रह जाएगी 65 किमी
जिला चंबा के होली व भरमौर क्षेत्र को जिला कांगड़ा के बैजनाथ से जोड़ेगी। मौजूदा समय में अगर कोई बैजनाथ, पालमपुर, धर्मशाला या फिर जिला मंडी, शिमला व कुल्लू की ओर से भरमौर की तरफ जाना चाहे तो उसे 200 किलोमीटर से अधिक का सफर वाया चंबा होकर तय करना पड़ता है। इस सड़क के बनने से यही दूरी 65 किलोमीटर के बीच रह जाएगी।
होली-उतराला-बैजनाथ मार्ग निर्माण का कार्य पूर्ण हो जाए तो जो बैजनाथ या कांगड़ा से लंबी दूरी तय कर भरमौर, होली/उतराला क्षेत्रों में पहुंचते हैं, उन यात्रियों के लिए यह दूरी 200 किलोमीटर से वाया चंबा घट कर करीब 65 किलोमीटर के आस-पास रह जाएगी। इससे समय एवं धन दोनों की बचत क्षेत्र वासियों को जहां प्राप्त होगी। वह निगम व निजी बसों को इसका लाभ मिलेगा।
-शुगल सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, एचआरटीसी चंबा डिपो
(एमएम डैनियल)
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