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हिमाचल की सेब आधारित अर्थव्यवस्था संकट में

सड़कें बंद होने से कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में बगीचों में ही खराब होने लगी फसल
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हिमाचल में मौसम की मार से तबाह हुई सड़़कें।
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प्राकृतिक आपदा के प्रकोप से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश की 5000 करोड़ रुपये से अधिक की सेब आधारित अर्थव्यवस्था संकट में है। हिमाचल में इस बार सेब की बंपर फसल है। मॉनसून का सीजन शुरू होने से पहले परिस्थितियां सेब उत्पादकों के अनुकूल थीं, लेकिन बारिश के साथ शुरू हुआ प्राकृतिक आपदाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में सेब की फसल बगीचों से बाहर नहीं निकल पा रही। खासकर कुल्लू, मंडी, शिमला, चंबा और किन्नौर जिलों में अधिकांश सड़कें बंद होने के कारण सेब की फसल पर भारी संकट है। बगीचों में तैयार फसल में ड्रॉपिंग शुरू हो गई है। किसान संगठनों की मानें तो प्राकृतिक आपदा से अभी तक राज्य की सेब आधारित अर्थव्यवस्था को 1800 से 2000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो चुका है।

प्रदेश में इस बार सेब की 3.50 करोड़ पेटियां होने का अनुमान है। अभी तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से 1.61 करोड़ से ज्यादा पेटियां विभिन्न मंडियों में बिक्री के लिए पहुंच चुकी हैं। हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार सर्वाधिक 1.02 करोड़ बॉक्स शिमला एपीएमसी में बिक्री के लिए पहुंचे हैं।

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हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक हेमिस नेगी के अनुसार प्राकृतिक आपदा के कारण सेब की ढुलाई प्रभावित हुई है, लेकिन बंपर फसल के चलते पिछले साल की तुलना में काफी अधिक सेब मंडियों तक पहुंच चुका है। उनका कहना है कि मौसम में सुधार होते ही ढुलाई हर रोज रफ्तार पकड़ रही है और आने वाले दिनों में इसमें अधिक तेजी आने की संभावना है। प्रदेश में अभी तक मंडी मध्यस्थता योजना एमआईएस के तहत 40,000 मीट्रिक टन से अधिक सेब बागवानों से खरीदा जा चुका है।

हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के संयोजक व हिमाचल प्रदेश फल, सब्जी व पुष्प उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान का कहना है कि प्रदेश की सेब आधारित अर्थव्यवस्था को अभी तक मौसम की मार के कारण 1800 से 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उनका कहना है कि शिमला जिले में इस बार बागवानों को पहले पतझड़ के कारण नुकसान उठाना पड़ा और फिर सड़के बंद हो जाने के कारण बड़ी संख्या में बागवानों का सेब बगीचों में ही सड़ गया। उनका कहना है कि कुल्लू, मंडी और किन्नौर जिलों में अभी भी बड़ी मात्रा में सेब बगीचों में ही फंसा है। हरीश चौहान का कहना है कि सरकार को सेब बागवानों के कर्ज माफ कर देने चाहिए या फिर कम से कम एक साल का ब्याज माफ करना चाहिए।

शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद सुरेश कश्यप का आरोप है कि आपदा के समय में कांग्रेस सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई। उन्होंने कहा, सेब उत्पादक किसान भारी संकट में हैं, क्योंकि उनकी उपज मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर किसानों की अनदेखी करने और आपदा प्रबंधन में नाकामी का आरोप लगाया।

कहीं खुशी, कहीं गम

शिमला जिला के रोहड़ू क्षेत्र के मेंदली गांव के प्रगतिशील बागवान रविंद्र चौहान का कहना है कि जहां बागवानों को प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान झेलना पड़ा है, वहीं इसका एक सकारात्मक पहलू यह भी रहा है कि सड़कें बंद हो जाने के चलते बड़ी मात्रा में एक साथ सेब मंडियों में नहीं पहुंचा। इसके चलते बागवानों को अभी भी अच्छे दाम मिल रहे हैं।

अभी भी 650 सड़कें बंद

हिमाचल प्रदेश में अभी भी तीन राष्ट्रीय राजमार्ग और 647 सड़कें अवरुद्ध हैं। सबसे अधिक 246 सड़कें मंडी, 170 सड़कें कुल्लू जिले में बंद हैं। शिमला में 58, बिलासपुर में 13, चंबा में 38, हमीरपुर में 12, कांगड़ा में 45, किन्नौर में दो, सिरमौर में 24, सोलन में 17 और ऊना में 22 सड़कें बंद हैं।

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