बिहार में हरियाणा की सियासी एंट्री : नायब सैनी संभालेंगे प्रचार की कमान, 54 हरियाणवी नेता मैदान में उतरे
केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार चुनाव को जीत की प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए हरियाणा की सियासी टीम को प्रचार में झोंक दिया है। वजह साफ है - हरियाणा में भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता दिलाने वाले रणनीतिकार अब बिहार में भी वही ‘हरियाणा मॉडल’ दोहराने की तैयारी में हैं। बिहार में भाजपा के चुनाव प्रभारी बने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ मुख्यमंत्री नायब सैनी की जोड़ी पहले भी नतीजे दे चुकी है।
वर्ष 2024 में जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब धर्मेंद्र प्रधान ही पार्टी के प्रभारी थे और उनके नेतृत्व में भाजपा ने फिर सत्ता हासिल की थी। अब पार्टी ने तय किया है कि बिहार में प्रचार का तेवर और रणनीति दोनों हरियाणा की टीम के अनुभव से तय होंगे। सैनी, जो ओबीसी समाज से आते हैं और जमीनी संगठन के लिए जाने जाते हैं, कई जिलों में ओबीसी और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने की कोशिश करेंगे।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मंगलवार को चंडीगढ़ से दिल्ली जाएंगे, जहां वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद 29 अक्तूबर को वे बिहार के लिए रवाना होंगे। सूत्रों के मुताबिक सैनी की सभाएं सीमांचल और मगध क्षेत्र में प्रस्तावित हैं, जहां ओबीसी वर्ग का प्रभावी वोट बैंक है। हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने पुष्टि की है कि राज्य से 54 वरिष्ठ नेताओं को बिहार भेजा गया है। इनमें मंत्री, विधायक, संगठन पदाधिकारी और पूर्व मंत्री शामिल हैं। इनमें से 25 से अधिक नेता पहले से ही बिहार के विभिन्न जिलों में सक्रिय हैं और बूथ स्तर तक प्रचार कर रहे हैं। इन नेताओं में केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, शिक्षा मंत्री महिपाल सिंह ढांडा, उद्योग मंत्री राव नरबीर सिंह, राजस्व मंत्री विपुल गोयल, पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार, समाज कल्याण मंत्री कृष्ण बेदी, खेल मंत्री गौरव गौतम और खाद्य मंत्री राजेश नागर जैसे बड़े नाम शामिल हैं। कुछ नेता भाजपा उम्मीदवारों के साथ जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं, तो कुछ स्थानीय समाजों के संपर्क कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।
भाजपा की रणनीति स्पष्ट है - बिहार में संगठनात्मक तालमेल और बूथ प्रबंधन के लिए हरियाणा के अनुभव का इस्तेमाल किया जाएगा। हरियाणा भाजपा ने हाल ही में पंचायतों और छोटे समुदायों के बीच जिस ‘माइक्रो कनेक्ट’ रणनीति से सफलता पाई, वही मॉडल अब बिहार में भी लागू किया जा रहा है।
हरियाणा के नेताओं को उन इलाकों में तैनात किया गया है, जहां प्रवासी हरियाणवी और उत्तर भारतीय समुदायों का प्रभाव है। साथ ही, पार्टी बिहार के उन वोटरों पर भी फोकस कर रही है जो रोज़गार या पढ़ाई के सिलसिले में हरियाणा में रह चुके हैं।
