Haryana News : सवालों के कठघरे में व्यवस्था : गुरुग्राम-फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नरों को डीएम जैसी आपातकालीन शक्तियां नहीं
हरियाणा में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को लागू हुए गुरुग्राम और फरीदाबाद में लगभग दो दशक हो चुके हैं। लेकिन इन शहरों के पुलिस कमिश्नरों (सीपी) के पास अब तक जिलाधीश जैसी आपातकालीन शक्तियां नहीं हैं। दूसरी ओर, इससे छोटे और अपेक्षाकृत शांत जिलों - पंचकूला, सोनीपत और झज्जर के पुलिस कमिश्नरों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत आदेश जारी करने का अधिकार है।
यह स्थिति न सिर्फ हरियाणा पुलिस कानून-2007 की भावना के खिलाफ है, बल्कि एनसीआर जैसे संवेदनशील इलाकों में कानून-व्यवस्था के लिए जोखिम भी पैदा कर सकती है। पुलिस एक्ट में स्पष्ट किया गया है कि पुलिस कमिश्नरेट में पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त व अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त के पास डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) की पावर रहेंगी। पहले वाली धारा-144 अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में धारा-163 बन गई है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 163 सरकार, जिलाधीश (डीएम) या कार्यकारी मजिस्ट्रेट को यह अधिकार देती है कि वे किसी भी इलाके में भीड़ इकट्ठी होने पर रोक लगा सकते हैं। अगर उन्हें लगता है कि किसी इलाके में शांति भंग होने का खतरा है या कोई सार्वजनिक खतरा पैदा हो सकता है तो वह तुरंत आदेश जारी कर भीड़ पर रोक, धरना-प्रदर्शन या किसी गतिविधि को सीमित कर सकते हैं। एक तरह से यह कानून आपात और भीड़ को कंट्रोल करने का सबसे ठोस व तेज हथियार है।
तीन जिलों को विशेष पावर, दो बड़े शहरों को नहीं
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और प्रशासनिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार के मुताबिक, गृह विभाग की गजट नोटिफिकेशन में केवल पंचकूला, सोनीपत और झज्जर के पुलिस कमिश्नरों को ही जिलाधीश की तरह धारा 163 का प्रयोग करने की अनुमति है। इतना ही नहीं, उनके अधीन डीसीपी और एसीपी को भी कार्यकारी मजिस्ट्रेट की पावर दी गई हैं। यानी वहां पुलिस कमिश्नर या उनके अधीन अधिकारी सीधे इस धारा के तहत आदेश जारी कर सकते हैं। लेकिन गुरुग्राम और फरीदाबाद में इतने साल से कमिश्नरेट होने के बावजूद धारा-163 का आदेश केवल उपायुक्त (डीसी) या एसडीएम ही जारी कर सकते हैं। एक तरह से इन दोनों जगहों पर पुलिस कमिश्नर धारा-163 के मामले में सिर्फ ‘दर्शक’ हैं।
इसलिए अहम हैं दोनों शहर
राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद दोनों ही एनसीआर के बड़े औद्योगिक, कारोबारी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जुड़े शहर हैं। यहां मल्टी नेशनल कंपनियों के मुख्यालय, बड़े कॉरपोरेट हाउस और संवेदनशील इलाके हैं। ट्रैफिक, धरना-प्रदर्शन, राजनीतिक गतिविधियां, किसान आंदोलनों और वीआईपी मूवमेंट की वजह से कानून व्यवस्था पर त्वरित निर्णय लेना जरूरी होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब कम आबादी और अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले पंचकूला या झज्जर के पुलिस कमिश्नर को धारा 163 की शक्ति दी जा सकती है, तो गुरुग्राम और फरीदाबाद के पुलिस प्रमुख को क्यों नहीं।
कानून भी कहता है पावर मिले
हरियाणा पुलिस कानून, 2007 की धारा-8 साफ कहती है कि पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में जिलाधीश की शक्तियां पुलिस कमिश्नर द्वारा प्रयोग होनी चाहिएं। ऐसे में गुरुग्राम व फरीदाबाद में नियमों का उल्लंघन सीधे तौर पर हरियाणा के पुलिस कानून की भावना के विपरीत है। हेमंत कुमार ने गृह सचिव सुमिता मिश्रा को लिखे पत्र में कहा है कि या तो गुरुग्राम और फरीदाबाद को भी यह शक्ति दी जाए, ताकि आपात स्थिति में पुलिस तुरंत एक्शन ले सके। या फिर तीनों जिलों (पंचकूला, सोनीपत, झज्जर) से भी यह अधिकार वापस लेकर जिलाधीश को दिया जाए, ताकि सभी जगह समान व्यवस्था हो।
हरियाणा में वर्तमान पुलिस कमिश्नरेट
जगह पुलिस आयुक्त
गुरुग्राम एडीजीपी विकास अरोड़ा
फरीदाबाद आईजी सतेंद्र कुमार
पंचकूला आईजी सिबास कबिराज
सोनीपत एडीजीपी ममता सिंह
झज्जर आईजी डॉ. राजश्री सिंह