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ट्रिब्यून ट्रस्ट के पूर्व सदस्य व प्रसिद्ध गणितज्ञ प्रो. राम प्रकाश बंबा का निधन

पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे प्रोफेसर राम प्रकाश बंबा, इस वर्ष सितंबर में 100 वर्ष के होने वाले थे
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प्रख्यात गणितज्ञ, पद्म भूषण और रामानुजन पदक से सम्मानित पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और ट्रिब्यून ट्रस्ट के पूर्व सदस्य प्रोफेसर राम प्रकाश बंबा की फाइल फोटो।
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गीताांजली गायत्री/ट्रिन्यू, चंडीगढ़, 26 मई

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Professor Ram Prakash Bamba: प्रख्यात गणितज्ञ, पद्म भूषण और रामानुजन पदक से सम्मानित पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और ट्रिब्यून ट्रस्ट के पूर्व सदस्य प्रोफेसर राम प्रकाश बंबा का सोमवार सुबह उनके सेक्टर 19 स्थित आवास पर निधन हो गया। वे इस वर्ष सितंबर में 100 वर्ष के होने वाले थे। उनके परिवार में दो बेटियां, बिंदु ए. बंबा और सुचरु खन्ना, शोक संतप्त हैं।

बेटी बिंदु ने बताया, “वह अंत तक वैज्ञानिक ही रहे। उन्होंने अपना शरीर पीजीआई में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए दान करने की इच्छा जताई थी। परिवार उनकी इस अंतिम इच्छा का सम्मान करेगा। उन्होंने एक सार्थक और शांतिपूर्ण जीवन जिया।”

प्रो. बंबा के निधन से शैक्षणिक जगत में शोक की लहर है। वे पंजाब विश्वविद्यालय के गणित विभाग में प्रोफेसर एमेरिटस के रूप में जीवन के अंतिम समय तक गणित की सेवा में लगे रहे। परिवार द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि “विश्वविद्यालय उनका जीवन था और गणित उनका धर्म। वे अंतिम समय तक विश्वविद्यालय की खबरों में रुचि रखते थे और 'चंडीगढ़ ट्रिब्यून' पढ़ने की सलाह देते थे।”

जम्मू के एक सामान्य परिवार में जन्मे प्रो. बंबा ने अपनी मेधा के बल पर विशिष्ट स्थान प्राप्त किया। गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर में मास्टर्स डिग्री परीक्षा में 600 में से 600 अंक प्राप्त कर उन्होंने इतिहास रचा। इसके बाद उन्होंने केवल दो वर्षों में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की।

उन्होंने प्रो. हंसराज गुप्ता के साथ मिलकर पंजाब विश्वविद्यालय के गणित विभाग की स्थापना होशियारपुर में की, जो बाद में चंडीगढ़ स्थानांतरित हुआ और विश्वविद्यालय का पहला Centre of Advanced Study बना। उन्होंने ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी (USA) में पांच वर्ष अध्यापन किया और फिर वापस पंजाब विश्वविद्यालय लौटे। वर्ष 1985 से 1991 तक वे विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। यह विश्वविद्यालय के विकास का स्वर्णिम काल माना जाता है।

पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेनू विग ने कहा, “यह वर्ष जहां पंजाब स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स और प्रो. बंबा के जन्म शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जाना था, वहीं उनका जाना गणित जगत और विश्वविद्यालय दोनों के लिए बड़ी क्षति है।”

उनकी शिष्या और गणितज्ञ प्रो. राजिंदर जीत हंस-गिल ने बताया, “मैं पिछले सप्ताह उनसे मिली थी। तब भी वे वुड्स कंजर जैसे गणितीय सिद्धांतों पर चर्चा कर रहे थे। वे अस्वस्थ थे, लेकिन उनकी चेतना पूर्णतः सक्रिय थी।”

पंजाब विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (PUTA) ने प्रो. बंबा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति की। वे एक सजग, संवेदनशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण व्यक्ति थे। शरीरदान का उनका निर्णय ज्ञान और मानवता के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

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