जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहने के अलावा गोवा, बिहार, मेघालय और ओडिशा के राज्यपाल के पदों पर रहे मलिक का अपराह्न एक बजकर 12 मिनट पर यहां आरएमएल अस्पताल में निधन हो गया।
बताया गया कि मलिक मधुमेह, गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप और मोटापा एवं नींद में रुकावट जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से लंबे समय से जूझ रहे थे। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर मलिक के कार्यकाल के दौरान ही पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। संयोग से, उन्होंने केंद्र के इस कदम के छह साल पूरे होने के दिन अंतिम सांस ली। मलिक ने यह आरोप लगाकर विवाद पैदा कर दिया था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में दो प्रमुख परियोजनाओं की फाइल को मंजूरी देने के लिए रिश्वत की पेशकश की गई थी। उन्होंने किसानों और पुलवामा आतंकवादी हमले सहित अन्य मुद्दों पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे। मलिक द्वारा उठाए गए दो मुद्दों की जांच कर रहे सीबीआई ने इस साल मई में 2,200 करोड़ रुपये की किरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित एक मामले में उनके खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मलिक के निधन पर शोक व्यक्त किया। मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन से दुःखी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों केसाथ हैं।’
सत्ता को सच का आईना दिखाया था : खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘पूर्व राज्यपाल व किसान हितैषी नेता सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। वे बेबाक़ी और निडरता से सत्ता को सच्चाई का आईना दिखाते रहे।’ इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा और पंजाब के सीएम भगवंत मान समेत कई नेताओं ने भी शोक जताया। इन नेताओं ने उन्हें साहसी और सच बोलने वाला बताया।
गांववासी बोले- हमने जमीन से जुड़ा नेता खो दिया
बागपत : सत्यपाल मलिक के पैतृक गांव हिसावदा की गलियों में सन्नाटा पसर गया। सभी कह रहे थे, ‘हमने जमीन से जुड़ा नेता खो दिया।’ हिसावदा गांव की 300 साल पुरानी वह हवेली आज भी जस की तस खड़ी है, जहां मलिक का बचपन बीता। हालांकि अब उनका परिवार गांव में नहीं रहता, लेकिन रिश्तेदार आज भी वहीं बसे हैं।