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एक्सप्लेनर: चारधाम यात्रा शुरू, जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

अक्षीव ठाकुर/ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस, नई दिल्ली, 1 मई Chardham Yatra: उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा की औपचारिक शुरुआत की घोषणा कर दी है। चारधाम हिंदू धर्म की...
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बुधवार को चार धाम यात्रा की शुरुआत के लिए अनुष्ठान किए गए। गंगोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ खोल दिए गए हैं। पीटीआई
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अक्षीव ठाकुर/ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस, नई दिल्ली, 1 मई

Chardham Yatra: उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा की औपचारिक शुरुआत की घोषणा कर दी है। चारधाम हिंदू धर्म की एक प्रमुख तीर्थयात्रा है, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ चार प्रमुख तीर्थस्थल शामिल हैं। केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 मई को और बद्रीनाथ के 4 मई को खुलेंगे।

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गढ़वाल हिमालय की गोद में स्थित ये चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माने गए हैं। सर्दियों के दौरान बर्फबारी के कारण इन मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और देवी-देवताओं को उनके शीतकालीन निवासों में लाया जाता है। गंगोत्री धाम का शीतकालीन निवास उत्तरकाशी के मुखबा, यमुनोत्री का खरसाली, केदारनाथ का रुद्रप्रयाग के उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर, बद्रीनाथ का चमोली स्थित पांडुकेश्वर में है।

संपर्क सुविधा के लिए पहल

2016 में केंद्र सरकार ने चारधाम प्रोजेक्ट के तहत 12,000 करोड़ रुपये की लागत से 889 किलोमीटर लंबी पहाड़ी सड़कों के चौड़ीकरण की घोषणा की, ताकि इन तीर्थस्थलों तक हर मौसम में संपर्क बना रहे। इस परियोजना को आल वेदर रोड परियोजना भी कहा जाता है। इस सड़क का उद्देश्य भविष्य में हर मौसम में चार धाम यात्रा को सुगम बनाना है।

तीर्थयात्रियों को सावधानी बरतने की सलाह

चारों तीर्थस्थल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां तापमान कम, आर्द्रता न्यून, ऑक्सीजन की कमी और पराबैंगनी विकिरण (यूवी किरणें) अधिक होती हैं। उत्तराखंड सरकार ने तीर्थयात्रियों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। 2024 में चारधाम यात्रा के दौरान 246 तीर्थयात्रियों की मौत हुई, जबकि 2023 में यह संख्या 230 से अधिक रही थी।

सड़क परियोजना पर विवाद

2018 में हाईवे चौड़ीकरण परियोजना को एक NGO ने सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरणीय नुकसान के चलते चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की, जिसने रिपोर्ट में कहा कि भारी यातायात घनत्व वन्यजीवों, विशेष रूप से हिम तेंदुओं की आवाजाही में बाधा उत्पन्न करेगा। इसके अलावा एक चौड़ी सड़क के लिए अतिरिक्त ढलान काटने, विस्फोट करने, सुरंग बनाने की आवश्यकता होती है, जो सभी हिमालयी भूभाग को और अस्थिर कर देंगे और भूस्खलन और अचानक बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा आने की संभावना को बढ़ा देंगे।

सड़क सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण

हालांकि यह परियोजना तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए शुरू की गई थी, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर इसे सेना की रणनीतिक जरूरतों से जोड़ा। अब यह परियोजना भारत-चीन सीमा तक संपर्क के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। केंद्र सरकार ने बताया कि चारधाम प्रोजेक्ट का लगभग 75% कार्य पूर्ण हो चुका है।

सिलक्यारा टनल परियोजना

यमुनोत्री हाईवे पर बनी सिलक्यारा सुरंग अब पूर्ण हो चुकी है। हालांकि 12 नवंबर 2023 को इसका एक हिस्सा ढह गया था, जिसमें 41 मजदूर 17 दिन तक फंसे रहे और बाद में सफलतापूर्वक बचाए गए।

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